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मध्य एशिया पोर पंजाब में जैनधर्म
चन्द, माणिकचन्द, जसरूप छबीलसाह, पठनार्थं जवायासाह लिपिकृतं ।
३६. ग्रन्थ नं० १३६/C श्री कुमरपुरंदर [चउपइ] । बड़गच्छे श्री भावदेव सूरि शि० यति कवि मालदेव कृतं । सरस्वतीपत्तण (सिरसा) नगरे [वि.] सं० १६५२ ।
३७. ग्रन्थ नं० ५७२/D थोकड़ा। लिषतं प्रमीचन्द प्रोसवाल [नाहर गोत्रे] [वि.] सं० १६२० प्राषाढ़ सुदि १२ हयवतपुर (पट्टी) नगर मध्ये ।
३८. ग्रन्थ मं० १०/F षद्रव्यवनिका । साह नानकचन्द पु० साह दीपचन्द पु० साह बन्सीधर पू० साह रामदयाल, पु० साह धर्मयश, पु० साह कर्मचन्द पु० साह ईश्वरदास भावड़ा ओसवाल दुग्गड़ गोत्रे गुजरांवाला नगरमध्ये [वि.] सं० १९२४ पोष वदि ७ लिपिकृतं ।
३६, ग्रन्थ नं० ६१/F द्रव्यप्रकाश । लिषतं तथा विरचतं मुनि देवचन्द्र सं० १७६८ माघ वदि १३ मुलतान नगरे ।
अात्मस्वभाव मिठूमल कोप-हारी दीठों भैरोंदास भै उदास मूलचन्द चन्द जान है। ज्ञान लेखराज वर पारस स्वभावधर सोम जीवतत्व परिजान की सरधान है । ज्ञान दी निगम मत अध्यात्म ध्यानमन्त मुलतान थी निवासी सुश्रावक सुजान है। ताकि धर्मप्रीति मनानि के ग्रन्थ कीनी गुण-परजाय धर जाप द्रव्यज्ञान है।
४०. ग्रन्थ नं० १३/J बनारसीविलास । [वि.] स. १७५६ माघ सुदि ५ चन्द्रवार सामानकपूर नगरे श्री श्री श्री पातसाह जगजोतिकरण साह ओरंगजेब वर्तमाने पूज्य ऋषि नाथ शिष्य पूज्य दयालऋषि शि० पूज्य सूराऋषि लिषतं ।
४१. ग्रन्थ नं० १६६/J मलयासुन्दरी रास । [वि.] सं० १६६६ माघ दिन ७ उत्तराध गच्छे गोपालऋषि विरचित तथा लिषतं ।
भीम बड़ो मुनिराई जगमाल सरोवर राईमल्ल जी तस नामे दुर्गत पुलाय रे । सदारंग सिंघराज जी रे जटमल बड़ा गणधार तास पाटी जगदीपतो रे ।। मुनि मनोहर सुकमालो रे । द्वादसमई पाटईं भलो रे । मुनिराज मनोहर सीस श्री सुन्दरदास सुहावना रे । प्राचार्य सिंघराज नो रे शिष्य दास-गोपाल । तासु चौपाई कीधी रे रसालो रे ॥
४२. ग्रन्थ नं० २२०/K जैनधर्म विषयक प्रश्नोत्तर । [वि० सं०] १६५० पट्टीनगरे तपागच्छीय न्यायांभोनिधि जैनाचार्य श्री विजयानन्द सूरि (प्रात्माराम) जी विरचितं तथा लिपिकृतं स्वहस्तेन ।
४३, ग्रन्थ न० ३२ A/२८ कल्पसूत्र । [वि.] सं० १६२१ मार्गशीर्ष वदी १३ पूज्य मेघऋषि शि० पूज्य माणेक ऋषि शिष्य पूज्य मंगलऋषि शि० पू० मनसाऋषि लिपिकृतं स्व पठनार्थ फगवाड़ा मध्ये ।
४४. ग्रंथ नं० १७A/३ ठाणांग सूत्र । [वि.] सं० १८६६ फाल्गुण सुदि ३ पू० लखाऋषि शि० पू० राधु ऋषि शि० पू० संतू ऋषि शि० पू० हरदयाल [ऋषि] शि० पू० मयाऋषि शि० पू० सोहनऋषि शि० रामाऋषि लिपिकृतं पूज्य सोभाऋषि सहायेन जंडियाला गुरु मध्ये । शेरसिंह राज्ये।
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