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________________ ३६० मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म ६७. गणि विज्जा पइन्ना यति रामकरण का १६३७ वै० व० १२ । गुजराँवाला शि० बसंताऋषि ६८. चउसरण पइन्ना पूज्य श्रीऋषि १६३२ फा० सु० १३ लाहोर ६६. तंदुलवियालिया धनैयाऋषि १८८८ चै० सु०५ अमृतसर ७०. चउसरण पइन्ना कमलमेरु गणि (खरतर) १६६८ मार्ग सु०६ भटनेरकोट ७१. श्रावक षडावश्यक बृहद (बड़) गच्छे बादिदेवसूरि संताने भट्टारक श्री पुण्यप्रभ सूरि भारतीपत्तन शिष्य श्री भावदेवसूरि १६२८ जे० व० २। (सिरसा) ७२. षडावश्यकसूत्र यति लालमनऋषि १७६४ फा० सु० ८ । कलानौर ७३. षडावश्यकसूत्र कीर्तिसमुद्र (खरतर) १७२८ श्रा० सु० १२ सिन्धु देशे पंचनद्यतटे सिद्धपुरे ७४. षडावश्यक बालावबोध मुनि जीवनराम शिष्य १६२३ होशियारपुर मुनि आत्माराम-स्थानकवासी अवस्था में) (तपागच्छाचार्य श्री विजयानन्द सूरि) (विक्टोरिया राज्ये) ७५. प्रतिक्रमणसूत्र सुन्दरदासऋषि १६७३ कस्थल (कैथल) ७६. श्रावक प्रतिक्रमण समयनिधान १७२१ वै० व०८ ॐकारपुर (सिरसा) ७७. षडावश्यकसूत्र नानकचन्दऋषि १६६५ का० सु० २ हिसारकोट ७८. बंगचूलिया टबा श्रावक अमीचन्द १६२६ पो० सु० ५। मूलामल नाहर ७६. प्रद्युम्न चरित्र (दिग०) मुनि हंसराज १६२८ च०सु० १४ लाभपुर (लाहौर) (स्थानकवासी) ८०. श्रीपाल चरित्र यति लालमन ऋषि १७३० भा० व० १० । गुजरांवाला ८१. गजसुकमाल आर्या जमुना १८८४ हिसार ८२. दमयन्ती कथा चारित्रचन्द्र गणि १७२६ मार्ग० व० ६ सिरसा ८३. अमरसेन वयरसेन चरित्र पं० जयकुशल गणि - डेरा हाजीखां ८४. श्री जम्बुचरित्र श्रावक जमुनादास १८६२ माघ व० ५ हिसार ८५. श्रीपाल चरित्र धर्मचंद पाठक १४८४ योगिनीपुर (दिल्ली) ८६. प्रद्युम्नचरित्र खुशालहेम गणि(खरतर) १८२८ वै० व० ११ । भटनेर ८७. अंबड़ परिव्राजक कथा जगत ऋषि १७५३ श्रा० सु० ७ सिन्धु नदी तीरे प्रटकदूर्ग संबलग्राम पट्टी 1. सरस्वतीपत्तन, मोंकारपुर, भारतीपत्तन ये सब सिरसा नगर के नाम हैं। 2. जिन नामों के साथ ऋषि शब्द आया है वे सब उत्तरार्ध लौकागच्छीय यति हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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