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________________ भुवन भानु सम पुण्य प्रकाशी, सेवना तुज भवहारी हे गौतम गणधारी...६ <> श्री गौतम स्वामीनु स्तवन >> श्री वीर जिनेश्वर केरो शिष्य गौतमनामे जपो निशदिन जो कीजे गौतमनुं ध्यान, तो घर विलसे नवे निधान जा . गौतम नामे गिरिवर चढे, वांछित हेला संपजे; गौतम नामे नावे रोग, गौतम नामे सर्व संयोग जे वैरी विरुआ वंकडा, तस नांमे नावे ढुकडा; भूत प्रेत नवि मंडे प्राण, ते गौतमना करुं वरवाण. गौतम नामे निर्मल काय, गौतम नामे वाधे आय; गौतम जिन शासन शणगार, गौतम नामे जयजयकार शाल दाल सुरसा घृतगोल, वांछित कापड तंबोल; घर सुगृहिणी निर्मल चित्त, गौतम नामे पुत्र विनीत गौतम उग्यो अविचल भाण, गौतम नामे जपो जप जाण; मोटा मंदिर मेरु समान, गौतम नामे सफल विहाण घर मयगल घोडानी जोड, वारु पहोंचे वांछित कोड; महियल माने मोटा राय, जो तुठे गौतमनापाय ...७ 1 . ain Edoa jainelibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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