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________________ "वा, (२) <> हे गौतम गणराया >> (राग - हे त्रिशलाना जाया) हे गौतम गणराया, मांगु तारी माया, मम वीरप्रभुना लाडकवाया, जगमा नाम सोहाया... निजि हे... वीर प्रभुनी पासे जईने, संयम रंगे रंगाया,(२) प्रभुना प्रथम शिष्य थइने, गणधर पद सोहाया,(२) धन्य तमारा मातपिताने,(२) धन्य तमारी काया हे....१ स्वशक्तिओ अष्टापदनी, यात्रा करी बतावी,(२) पंदरसो तापसने तारी, जगमां कीर्ति वहावी,(२) लब्धिओ मली गौतम नामे(२), उपयोग कीधो दोय हे....२ तारा नामे मंगल थावे रिद्धि सिद्धि सह पावे,(२) ॐ ही नमो गोयमस्स, मंत्र जपो दिल भावे,(२) | जय हो..गौतमस्वामी तमारो(२),लब्धितणा भंडार हे..३ <> पुजो पूजो, श्री गौतमस्वामी (राम-रीझो रीझो आ मौसम) पूजो पूजो, श्री गौतमस्वामी, बहुजीव तारणहार, बहुजीव तारणहार गोयमजी बहुजीव तारणहार... Jain Education Inter n a For Private & Personal use only manvarg
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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