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________________ मने गौतमस्वामी व्हाला रे (राग - तारो सोनानो, वली रुपानो) मने गौतमस्वामी व्हाला रे हो... हो... मुखलडुं चमके रे आभलनी ओर कोर चमके चांदलीया, हा. रे. मुखलडुं मलके रे. f.. m अंगुठो मूकी खीरनुं पारणं करावे रे, आश्चर्यथी पेला तापसो केवल पावे रे आभलानी...१ कल्पतरु सम सहुना वांछित पुरतारे, रिद्धि सिद्धि पामे गुणनी गुरुतारे आभलानी... २ मारा गौतमस्वामी अवा दिल डोले रे (राग - मारा दादाना दरबारे) मारा गौतमस्वामी ओवा दिल डोले रे... शिर डोले रे... गुण बोले रे... केवा चढ्या मानना घोडे रे, वीर देखी मान छोडे रे, जेने केवलज्ञान खोळे रे, पचास हजार शिष्यनी बलिहारी रे, जेने वीरनी कृपा न्यारी रे, बधी लब्धि जेनी जोडे रे, Jain Education International दिल... १ For Private & Personal Use Only दिल... २ www.elibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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