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निज लक्षमा क्षति नाचरे परहित विषे पण ना मणा
ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना १७ निर्वेद ने संवेगकर व्याख्यानथी विकसावता की भावूक हृदय कमले विषे वैराग्य ज्योत जगावता कि पडिबोधी दीक्षा आपता निज शिष्यपद दीपावता ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना १८ गुर्जर-मराठा-कन्नड-तामिळनाडू मरुधर देशमा बंगाल यु.पी. बिहार, विचर्या, आप मध्यप्रदेशमा उपकार योगे भव्य भगतो भवथकी विमुख कीधा ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना . १९ जिनआणनां जयघोषकारी आपना ज्यां पग पडे। त्यां त्यां भाविकने आप श्रद्धा योग विपदो ना नडे पद्पद्म परिमल आपनी संताप ने संकट हरे : ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना जडवादना झेरी पवनथी युवकजन ऊगारवा
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