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** महादान * आवो पधारो इष्ट वस्तु पामवा नरनारीओ : ओ घोषणाथी अर्पता सांवत्सरिक महादानने ने छेदता दारिद्र सौनुं दानमां महाकल्पथी म
* दीक्षा कल्याणक * दीक्षा तणो अभिषेक जेनो योजता इन्द्रो मली शिबिका स्वरुप विमानमा बिराजता भगवंतश्री अशोक पुन्नाग तिलक चंपावृक्ष शोभित वनमही श्री वज्रधर इन्द्रे रचेला भव्य आसन उपरे बेसी अलंकारो त्यजे दीक्षा समय भगवंत जे ने पंचमुष्टि लोच करता केश विभु निज करवडे, लोकाग्रगत भगवंत सर्वे सिद्धने वंदन करे सावद्य सघला पाप योगोना करे पच्चक्खाणने जे ज्ञान-दर्शन ने महाचारित्र रत्नत्रयी ग्रहे, निर्मलविपुलमति मनःपर्यव ज्ञान सहेजे दीपता, जे पंचसमिति गुप्तित्रयनी रयणमाला धारता,
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