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________________ पर्वत पर आये और वहाँ पर एक महिने के उपवास के साथ पादपोगमन अनशन का स्वीकार करके रहे। श्री सुधर्मा स्वामी को गण सौंप कर जीवन की कुल आयु ९२ वर्ष पूर्ण करके ४ अधाती कर्म का क्षय करके अक्षय, अव्याबाध, सुःखपूर्ण मुक्ति पद को प्राप्त किया। <> गणधर गौतम स्वामी महाराज >> ग : गणधर श्री गौतम स्वामी महाराज को अनंत वंदन।। ण : णमोकार महामन्त्राधिराज, है भवोदधि जहाज । ध : धर्म करणी निरंतर करे, भवसागर से शीघ्र तरे। २ : रत्नत्रयी - तत्वत्रयी है, अलौकिक व मनोहारी । श्री : श्री जिनशासन की शान है.मक्तिनिलय की मिशाल। गौ : गौतम नाम में है लब्धि, पावे शीघ्र ऋद्धि-समृद्धि । त : तन मन वचन को स्थिर कर, नित्य जपो नवकार । म : महान मानव जन्म पाकर, शीघ्र बनना है निराकार। स्वा : स्वामी-सेवक का सम्बन्ध है, अनादि और अनन्त । मू : मीत ध्यान रखो एक बात, जिनधर्म चलेगा ही साथ । नगर in Education inational Perse n Soww.jainelibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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