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________________ ४२ विश्व शान्ति और अहिंसा समय से मान्यता मिली हुई है। जातिवाद,रंगभेद,गरीबी, क्षेत्रवाद-इन पूर्वाग्रहों से प्रस्त समाज समय-समय पर हिंसा की आग में ईंधन डालता रहा है। जातिवाद और रंगभेद के सर्पदंश से छुटकारा पाने के लिए मानवीय एकता का प्रशिक्षण अत्यन्त अपेक्षित है। गरीबी की समस्या कुछ जटिल है । जटिलता का एक पहलू है-उपभोग्य सामग्री कम है,उपभोक्ता अधिक हैं। संविभाग या बांट-बांट कर खाने की मनोवृत्ति का अभाव है। व्यक्तिगत सुविधा और संग्रह की भावना प्रबल है। इस समस्या को सुलझाने के लिए संविभाग का प्रशिक्षण बहुत आवश्यक है। प्रश्न विश्व की मौलिक एकता का राष्ट्र की भौगोलिक इकाई की उपयोगिता को मान्य करते हुए भी विश्व की मौलिक एकता का मूल्य कम नहीं होना चाहिए। अहं और महत्त्वाकांक्षा का टकराव विश्व को एक सूत्र में बंधने से रोकता है। मनुष्य की चेतना इतनी विकसित भी नहीं है कि वह सबके साथ न्याय और संतुलित व्यवहार कर सके। यह स्थिति भी भौगोलिक और प्रादेशिक सीमाओं के अस्तित्व को बनाए रखने में निमित्त बन रही है। अहिंसक समाज की रचना के लिए भौगोलिक सीमाओं की समाप्ति अनिवार्य शर्त नहीं है। उसकी अनिवार्य शर्त यह है कि भौगोलिक सीमाओं के अस्तित्व के साथ मानवीय एकता का धागा टूटे नहीं। अहिंसा का प्रशिक्षण : आधारभूत तत्त्व अहिंसा के प्रशिक्षण का आधारभूत तत्त्व है हृदय-परिवर्तन अथवा मस्तिष्कीय प्रशिक्षण । हृदय-परिवर्तन के लिए निम्ननिर्दिष्ट सिद्धान्त सूत्रों का प्रशिक्षण आवश्यक होगा हिंसा के हेतु १. लोभ परिणाम अधिकार की मनोवृत्ति। शस्त्र-निर्माण और शस्त्र का प्रयोग। २. भय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003163
Book TitleVishwashanti aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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