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विश्व शान्ति और अहिंसा है? क्या हमारा दृष्टिकोण वस्तु-भोग के प्रति यथार्थवादी है? यदि है, तो अहिंसा प्रशिक्षण से अहिंसा के बीज की बुआई हो जाएगी।
आकर्षण का कारण ___ वर्तमान विश्व एकांगी दृष्टिकोण की समस्या में उलझा हुआ है। आर्थिक और भौतिक विकास की एकांगी अवधारणा ने हिंसा के आचरण को बढ़ावा दिया है ! उस दृष्टिकोण को बदले बिना अहिंसा का आचरण बढ़े, इसकी संभावना नहीं की जा सकती। इन दशकों में अहिंसा के प्रति जो आकर्षण बढ़ा है, वह हिंसा से उत्पन्न समस्या के कारण बढ़ा है। हत्या, आतंक,संहारक शस्त्रों का निर्माण,हिंसक संघर्ष और युद्ध-ये हिंसक समस्याएं समाज की शांति को भंग करती हैं । सचमुच शांति भंग हो रही है, इसलिए अहिंसा के प्रति आकर्षण बढ़ा है। सबको लग रहा है--वर्तमान की अशांति को मिटाने का सबसे सुन्दर समाधान अहिंसा है।
अवधारणा बदले
अहिंसा हिंसा से उत्पन्न समस्याओं का समाधान है, इसमें कोई संदेह नहीं है पर अनेकांत दृष्टिकोण का विकास हुए बिना वह समाधान नहीं बनती। इस सच्चाई को हम कैसे झुठलाएंगे कि आज के मनुष्य का दृष्टिकोण जितना पदार्थ सापेक्ष है,उतना मनुष्य सापेक्ष अथवा प्राणी सापेक्ष नहीं है। वह पदार्थ के लिए मनुष्य के प्रति क्रूर व्यवहार कर सकता है,प्राणी के प्रति निर्मम हो सकता है । इस स्थिति में अहिंसा का मूल्य कैसे प्रतिष्ठित किया जाए? जिस अवधारणा ने हिंसा को बढ़ावा दिया है, उस अवधारणा को कैसे बदला जा सकता है? हमारा मनोचल विकसित हो, संकल्प बल प्रकृष्ट हो तो अवश्य बदला जा सकता है। उसे बदलने के लिए ही अहिंसा का प्रशिक्षण आवश्यक है।
प्रशिक्षण का उद्देश्य
___ अहिंसा के प्रशिक्षण का प्रारम्भ बिन्दु है, हृदय-परिवर्तन अथवा मस्तिष्कीय परिवर्तन । यह परिवर्तन हिंसा के प्रति नहीं,पदार्थ के प्रति होगा। हमारा निश्चित मत है-अपरिग्रह की समस्या को छोड़कर हम हिंसा की समस्या पर विचार नहीं कर
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