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आलोक प्रज्ञा का
का मूल कारण है-अप्रशस्त विचार । उन दोनों के मूल में है भीतर में स्थित भाव । वह शुद्ध और अशुद्ध-दोनों प्रकार का होता है।
अध्यात्म का सूत्र
१५७. आचारो व्यवहारश्च, भावचितनसंभवः ।
असौ स्यादात्मनः प्रेक्षा, स्यादऽध्यात्ममिदं महत् ॥
भन्ते ! अध्यात्म का सूत्र क्या है ?
वत्स ! अपने आपकी प्रेक्षा करना-अपने आपको देखना, इसका नाम है अध्यात्म । आचार और व्यवहार के दो स्रोत हैं-भाव और चिन्तन । कोनसा आचार और व्यवहार किस भाव और चिन्तन से उपजा है, इसकी सूक्ष्मता से प्रेक्षा करना अध्यात्म का महान् सूत्र है।
स्वभाव-परिवर्तन के सूत्र
१५८. आस्थाबन्धो विवेकश्च, संकल्पश्च मनोबलम् ।
मनुष्ये तेन सामर्थ्य, स्वभावपरिवर्तने ॥ प्रभो ! स्वभाव-परिवर्तन के सूत्र क्या हैं ?
वत्स ! वे सूत्र हैं----आस्थाबन्ध [सुदृढ आस्था], विवेक, संकल्प और मनोबल । ये चार विशेषताएं ही मनुष्य में स्वभावपरिवर्तन का सामर्थ्य पैदा करती हैं।
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