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मंगल
१. अहिंसा मंगलं श्रेष्ठं, संयमो मंगलं वरम् । तपस्या मंगलं वयं वीरेण प्रतिपादितम् ॥
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भंते ! श्रेष्ठ मंगल क्या है ?
भगवान् महावीर ने कहा - वत्स ! अहिंसा, संयम और तप -- ये तीनों श्रेष्ठ मंगल हैं ।
धर्म का लक्षण
संयमलक्षणः ।
२. अहिंसा लक्षणो धर्मः, धर्मः तपस्या लक्षणो धर्मः, वीरेण प्रतिपादितः ॥
भंते ! धर्म का लक्षण क्या है ?
भगवान् ने कहा—-वत्स ! अहिंसा, संयम और तपस्या-ये तीन धर्म के लक्षण हैं ।
कैसे सुनें ?
३. श्रवणमिन्द्रियेण
स्यात्, मनसाऽर्थावगम्यते । बुद्ध्या विविच्यते तावत्, सर्वांगं श्रवणं भवेत् ॥
वह श्रवण - सुनना तभी परिपूर्ण होता है, जिसमें इन्द्रियां, मन और बुद्धि - इन तीनों का उपयोग होता है । कान श्रवण के विषय को ग्रहण करता है, मन उसके अर्थ की अबधारणा करता है और बुद्धि हेय और आदेय का विवेक करती है ।
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