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तब होता है ध्यान का जन्म
जाए। केवल भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में लाखों व्यक्ति बेरोजगार हैं । हिन्दुस्तान में तो करोड़ों हैं। पढ़ाई भी यह गारन्टी नहीं देती कि तुम जीविका के लिए पढ़ रहे हो, तुम्हें जीविका मिल जाएगी। जीविका का साधन मिल भी जाए किन्तु जब तक 'अच्छा जीवन बनेगा, यह आश्वासन नहीं होता तब तक जीविका भी पूरा साथ नहीं देती । कल्पना अच्छे जीवन की
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कुछ लोगों को नि:सर्ग से अच्छा जीवन मिल जाता है किन्तु सबको नहीं मिलता। अच्छे जीवन की कल्पना भी स्पष्ट होनी चाहिए। अलग-अलग कल्पनाएं हो सकती हैं। प्रेक्षाध्यान या जीवन विज्ञान के संदर्भ में अच्छे जीवन की कल्पना प्रस्तुत की जाए तो वह पांच सूत्र से समन्वित होगी। वे पांच सूत्र ये हैं
१. स्वस्थ शरीर
२. स्वस्थ मन
४. बौद्धिक विकास
३. स्वस्थ भाव
५. कार्यक्षमता या कार्यकौशल
ये पांच अच्छे जीवन की कल्पना के सूत्र हैं। अच्छा आदमी या अच्छा जीवन वह होता है, जहां ये पांच सूत्र साकार बनते हैं । यह एक समग्र कल्पना है। इसमें जीवन और जीविका - दोनों की कल्पना है, अखंड व्यक्तित्व की कल्पना है । दो सूत्र जीविका से जुड़े हुए हैं । बौद्धिक विकास और कार्यक्षमता या कार्यकौशल - ये दोनों जीविका के लिए जरूरी हैं । ये दोनों नहीं होते हैं तो जीविका भी अच्छी नहीं चलती । स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ भाव-ये तीनों जीवन के लिए जरूरी हैं । भाव स्वस्थ है तो ऐसा नहीं हो सकता कि जब चाहो आवेश को उभार दो और चाहे जितनी हिंसा करवा दो । भाव इतना स्वस्थ हो जाए कि हर कोई व्यक्ति भाव को बिगाड़ नहीं सके। बार-बार समाचार पत्रों में यह विज्ञापन आता है कि अफवाहों पर विश्वास मत करो । यह कभी सम्भव है क्या ? चूल्हे में आग डाल दें और यह चाहें - पानी गर्म न हो, दूध गर्म न हो, कैसे सम्भव होगा ? उत्तेजना आवेश को इतना उभार दो प्रचुर ईंधन आग में डाल दो, और वह भभके नहीं, आग आगे न बढ़े, अफवाहों पर विश्वास न हो, यह कभी नहीं होगा । यह सम्भव तभी बनेगा, जब आवेश पर कंट्रोल करना सिखाया जाए ।
केवल धन कमाना, जीविका चलाना, बौद्धिकता, कार्यक्षमता और कार्यकौशल का केवल जीविका के लिए उपयोग करना, यह अच्छे व्यक्तित्व का लक्षण नहीं है । व्यावसायिक या कर्मजा बुद्धि है, हाथ में शिल्प है, कला है तो व्यक्ति बहुत कुछ कमा लेता है। इससे जीविका का पक्ष तो बहुत समर्थ बन जाता है पर जीवन का पक्ष अच्छा नहीं रहता । जीवन अच्छा और जीविका अच्छी- दोनों का योग होता है तो इसे मणिकांचन योग कहा जा सकता है। सोना भी मिला और मणि भी मिली। दोनों को जड़ दिया तो
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