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तब होता है ध्यान का जन्म चित्र और एकाग्रता-ये तीन शर्ते पूरी नहीं होती हैं तो कल्पना अधूरी रह जाती हैं। साठ गांव बकरी चर गई
प्राचीन घटना है। राजा जंगल में आखेट के लिये गया। अनेक सैनिक साथ थे। सब घोड़ों पर सवार थे। जिस घोड़े पर राजा चढ़ा हुआ था, वह वक्र वृत्ति का था। वह राजा को विपरीत दिशा में ले गया। राजा जंगल में भटक गया। सब लोग बिछुड़ गए. अलग-अलग हो गए। राजा अकेला था। बहुत तेज प्यास लगी। प्राण निकलने जैसी स्थिति बन गई। उस समय एक चरवाहा दिखाई दिया। राजा ने कहा-भाई ! पानी पिलाओगे? उसने पानी पिलाया, आसन बिछाकर बिठा दिया। अच्छी परवरिश की। राजा प्रसन्न हो गया। राजा ने कहा-देखो, मैं राजा हूं। लो, मैं तुम्हें साठ गांव का पट्टा देता हूं। चरवाहा होशियार था। उसने कहा-महाराज ! मैं ऐसे नहीं मानता, आप मुझे लिखकर दें। राजा किस पर लिखता। कुछ और था ही नहीं, वृक्ष का पत्ता था। उस पत्ते पर राजा ने लिख दिया-'मैं तुम्हें साठ गांव का पट्टा बख्शीस करता हूं।' चरवाहा बड़ा खुश हो गया। राजा चला गया। मध्याह्न का समय। बकरियां इधर-उधर चर रही थीं। चरवाहा को नींद आने लगी। पत्ते को पास में सिरहाने रखा और वह सो गया। घूमते-घूमते एक बकरी उधर आई और उस पत्ते को खा गई, चर गई। उसे क्या पता था, वह कोई गांव का पट्टा है। उसके लिए वह गांव का पट्टा नहीं, खाने का पत्ता था और वह उसे खा गई। चरवाहा जगा, देखा-गांव का पट्टा गायब है। वह व्यथा से बोल उठा-मन की मन में रह गई, साठ गांव बकरी चर गई।
__ केवल कल्पना करने और सपना लेने से काम नहीं चलता। कल्पना को साकार करने की विधि का बोध भी जरूरी है। जब कल्पना को साकार करने का गुर हाथ लग जाता है तब कोई कल्पना अधूरी नहीं रहती। कल्पना को यथार्थ तक ले जाने के लिए जितनी यात्रा करनी होती है, वह यात्रा पूरी हो तो कल्पना यथार्थ में बदल जाती है। यात्रा पूरी न हो, बीच में कोई बकरी आ जाए तो कल्पना कल्पना ही रह जाती है . यथार्थ तक पहुंचने के लिए मानसिक चित्र बनाना और उस पर एकाग्र होना बहुत आवश्यक है। प्रश्न है बनने का
प्रत्येक व्यक्ति को निर्णय करना चाहिए कि मुझे क्या बनना है? शिक्षा के क्षेत्र में आदमी यह निर्णय करता है कि मुझे क्या बनना है? किन्तु वह किस संदर्भ में यह निर्णय करता है, इसकी ओर ध्यान देना भी अपेक्षित है। संदर्भ को समझे बिना किसी भी वस्तु की व्याख्या नहीं की जा सकती। आज संदर्भ है आजीविका का। आजीविका के संदर्भ में हर व्यक्ति कल्पना करता है-मझे व्यापारी बनना है, उद्योग में जाना है,
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