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तब होता है ध्यान का जन्म
ही एक दिन शोषित वर्ग शासन कर सकता है, शोषक वर्ग को भी समाप्त कर सकता
___ सांस्कृतिक भिन्नता के कारण संघर्ष हो सकता है। संघर्ष होने का एक मुख्य कारण है-भिन्नता। विचारों की भिन्नता के कारण संघर्ष हो जाता है। दो व्यक्ति हैं, परस्पर विचार नहीं मिलते, संघर्ष हो जाता है। परिवार में भी संघर्ष होता है, राजनीतिक पार्टियों में भी संघर्ष होता है, सामाजिक संस्थाओं में भी संघर्ष होता है। दो संस्कृतियां भिन्न-भिन्न हैं, वे परस्पर टकरा जाती हैं इसीलिए बहुत बार हिन्दु-मुस्लिम का झंझट होता रहता है। ये दो संस्कृतियां जब तब टकरा जाती हैं और सांप्रदायिक संघर्ष होते रहते हैं। जहां भी आदमी का स्वार्थ टकराता है, संघर्ष हो जाता है। आर्थिक प्रलोभन भी संघर्ष का बड़ा कारण बनता है। दो फेरे बाद में
प्राचीन घटना है। एक प्रौढ़ व्यक्ति को पत्नी का वियोग हो गया। उसने दूसरी शादी का प्रयत्न किया। प्रौढ़ व्यक्ति को कोई अपनी कन्या कैसे दे? पर पैसे के बल पर यह भी सम्भव बन गया। पुराने जमाने में हजार दो हजार में लड़कियां मिल जाती थीं। आज तो एक युवा लड़की के दो-चार-लाख रुपये भी मांगे जा सकते हैं। लड़की के पिता ने कहा-यदि दो हजार रुपये दो तो मैं लड़की दे सकता हूं। प्रौढ़ व्यक्ति ने यह शर्त स्वीकार कर ली, उसने दो हजार रुपये दे दिये। शादी निश्चित हो गई। निर्धारित दिन प्रौढ़ व्यक्ति बारात लेकर आया। रात्री का समय । फेरा खाने की तैयारी। दूल्हा चंवरी पर बैठ गया। पुत्री के पिता के मन में लालच आ गया। वह बोला-'अगर चार हजार रुपया दो तो शादी हो सकती है, अन्यथा नहीं हो सकती।' वह उस समय क्या करे? रुपया कहां से लाए? उसने स्वीकार किया- ठीक है, चार हजार दे दूंगा।' ब्राह्मण ने फेरे शुरू करवा दिए। दो फेरे हो गए। कुछ लोग सात फेरे मानते हैं, कुछ लोग चार फेरे मानते हैं। चार फेरे होने थे, दो फेरे हुए और वह खड़ा हुआ। लोगों ने कहा-अरे! बीच में कैसे उठे? अभी तो दो फेरे होना बाकी है। वह बोला- 'मैंने दो हजार रुपये दिये थे, दो फेरे खा लिए। अब दो हजार कमाकर फिर दूंगा तो उस समय दो फेरा फिर खा लूंगा।' उसके इस उत्तर से पुत्री का भविष्य अनिश्चित बन गया। एक संघर्ष की-सी स्थिति निर्मित हो गई। यदि आर्थिक लोभ नहीं होता तो दो फेरा बाद में खाने की बात ही नहीं आती किन्तु लोभ ऐसी स्थितियां पैदा कर देता है।
आर्थिक कारणों से संघर्ष होता है, स्वार्थ से संघर्ष होता है और वह संघर्ष सामाजिक विषमताओं को जन्म देता है। मनुष्य की अभिवृत्तियां भी अलग-अलग प्रकार की होती हैं। वे भी सामाजिक समस्याओं को बढ़ाती हैं। मनुष्य का दृष्टिकोण अलग
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