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________________ तनाव और ध्यान धर्म वह होता है जिससे वर्तमान की समस्या को समाधान मिले, जीवन की समस्या को समाधान मिले। धर्म कोरी कल्पना या आकाशी उड़ान नहीं है। वह एक यथार्थ है और उससे समाधान मिलता है। समाधान का शक्तिशाली साधन है सत्य । झूठ कभी समाधान नहीं देता। उससे एक बार समाधान होता सा लगता है किन्तु समस्या और उलझ जाती है। सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं है, समाधायक तत्त्व नहीं ___ वर्तमान युग की एक बहुत बड़ी समस्या है तनाव। तनाव को मिटाने के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में काफी प्रयत्न हो रहा है. काफी दवाइयां आविष्कृत हुई हैं। तनाव मुक्ति के लिए शामक औषधियां दी जाती हैं, एक बार थोड़ा-सा तनाव मिट जाता है। जैसे ही दवा का असर समाप्त होता है, तनाव पुन: आ जाता है, नींद उड़ जाती है फिर नींद के लिए गोलियां लो और जीओ। यह क्रम बन जाता है। धर्म के पास भी कुछ सूत्र तनाव को मिटाने के लिए हैं, उन सूत्रों को भी जान लेना जरूरी है। तनाव का हेतु हमारे मस्तिष्क में अनेक प्रकोष्ठ हैं। घर में दो-चार अथवा पांच-दस कमरे बनते हैं किन्तु मस्तिष्क में तो इतने अधिक कमरे हैं, इतने अधिक कोष्ठ हैं कि उन्हें गिनना भी मुश्किल है। हर कोष्ठ का अलग-अलग काम है। आजकल प्रकोष्ठ की प्रक्रिया चल रही है--महिला प्रकोष्ठ, राजनीति प्रकोष्ठ, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ आदि । एक संस्था से अनेक प्रकोष्ठ जुड़े हुए होते हैं। हमारे मस्तिष्क में भी बहुत सारे प्रकोष्ठ हैं। एक प्रकोष्ठ तनाव पैदा करने वाला है। उसे न बदला जाए, शिक्षित न किया जाए, तब तक तनाव मिटता नहीं है। हमें मस्तिष्क के उस प्रकोष्ठ को पकड़ना है जो तनाव को पैदा करता है और उसे ध्यान के द्वारा शिक्षित करना है, प्रशिक्षण देना है, जिससे कि तनाव पैदा न हो, और हो तो ,तत्काल निकल जाए, उसका रेचन हो जाए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003158
Book TitleTab Hota Hai Dhyana ka Janma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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