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तब होता है ध्यान का जन्म
ध्यान मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रशिक्षित करने के लिए है, जो कषाय के लिए उत्तरदायी है । मेडिकल साइंस की भाषा में वह इमोशनल एरिया - कषाय का क्षेत्र है । मस्तिष्क के अनेक भाग हैं । आज मस्तिष्क पर बहुत शोध हो रही है और बहुत जानकारियां मिल रही हैं। एक है बुद्धि का क्षेत्र । आदमी ने बुद्धि का बहुत विकास किया है। एक है स्मृति का क्षेत्र । थोड़ी-सी स्मृति कम होती है व्यक्ति चिंतित हो जाता है। यह चाह प्रबल बन जाती - स्मृति विकास के लिए मुझे क्या प्रयोग करना चाहिए? वह डॉक्टरों के पास जाता है, दवाई लेता है, जिससे कि स्मृति का विकास हो जाए। बुद्धि का विकास, स्मृति का विकास - इनकी चिन्ता बहुत करता है, पर क्रोध ज्यादा आता है, लोभ ज्यादा आता है, इनकी चिंता नहीं करता । शायद ही वह डॉक्टर के पास जाता होगा और यह कहता होगा - डॉक्टर साहब ! मुझे क्रोध बहुत आता है, कोई दवाई दें । शायद किसी हॉस्पिटल में ऐसा विभाग नहीं मिलेगा और है भी नहीं । लोभ के लिए तो कोई दवा लेने जाता ही नहीं है । व्यक्ति यह समझता है जितना लोभ, उतना ही कल्याण । लोभ कम हुआ तो कल्याण भी कम हो जाएगा। एक ऐसी धारणा बन गई, शिक्षा की ऐसी हमारी प्रणाली बन गई कि बस दिमाग को उस दिशा में शिक्षित करना है, जिससे आदमी ज्यादा लोभ करे, ज्यादा कमा सके। ज्यादा क्रोध करे और ज्यादा ठीक काम कर सके। यह माना जा रहा है- क्रोध करना बहुत जरूरी है। अगर हम क्रोध नहीं करेंगे तो हमारे कर्मचारी काम ही नहीं करेंगे। यह धारणा बद्धमूल हो गई-भई ! पचास आदमियों से काम लेना है, फैक्ट्री को चलाना है, उद्योग को चलाना है, हजार-दो हजार अथवा पांच हजार मजदूरों को संभालना है तो क्रोध करना भी जरूरी है। इसके बिना काम नहीं चलेगा ।
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उपाय है ध्यान
मस्तिष्क का सारा प्रशिक्षण क्रोध, अहंकार और कपट की दिशा में हो रहा है । मान लेना चाहिए - क्रोध जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे व्यक्ति मलिनता की दिशा में कदम आगे बढ़ा रहा है। इसलिए अनेक समस्याएं पैदा हो गईं। ये जो संघर्ष और लड़ाइयां हो रही हैं, गोलियां चल रही हैं. क्यों नहीं चले? जब हमने मस्तिष्क को एक दिशा में, कषाय की दिशा में प्रशिक्षित कर दिया और कषायमुक्ति की दिशा में कुछ भी नहीं किया तब वह मस्तिष्क यह सारा क्यों नहीं करेगा? जो हो रहा है, उसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जो नहीं हो रहा है, उस ओर हमारा ध्यान आकर्षित होना जरूरी है। उसका एक उपाय है ध्यान ।
बौद्धिक विकास का उपाय है- पाठ्यक्रम । इतना पढ़ो, पुस्तकों को पढ़ो । टेक्नोलॉजी को समझो, उसका ज्ञान करो । यह है मस्तिष्कीय कौशल यानी बाह्य जगत्
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