SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६ नवतत्त्व : आधुनिक संदर्भ पकड़े बिना जीवन की सही व्याख्या नहीं हो सकती । आज इस कारण को न पकड़ पाने के कारण जीवन की बहुत सारी व्याख्याएं गलत होती जा रही हैं । हम यह मान लें - व्यक्ति आनुवंशिक होता है, उसके जीवन को आनुवंशिक प्रभाव प्रभावित करते हैं, परिस्थिति और परिवेश भी प्रभावित करते हैं । हो सकता है, कुछ बीमारियों के संदर्भ में यह तर्क संगत प्रतीत हो किन्तु आचरण के प्रसंग में, जहां सुख और संवेदन का प्रश्न है यदि आनुवंशिकता का सिद्धान्त काम करेगा तो आचरण का सारा सिद्धान्त समाप्त हो जाएगा, आचरण शास्त्र की मर्यादाएं, नैतिकता की सीमाएं समाप्त हो जाएंगी। मूल है उपादान आनुवंशिकता का सिद्धान्त जीवन के एक पहलू का स्पर्श करता है। जहां शरीर रचना, स्वास्थ्य अथवा कुछ मानसिकता का प्रश्न है वहां इसे कारण माना जा सकता है किन्तु जीवन की जो विविधता है, नानात्व है, उसकी व्याख्या आनुवंशिकता के आधार पर नहीं की जा सकती । परिस्थिति और परिवेश भी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं किन्तु वे उपादान नहीं बन सकते । चाक और डंडा घड़ा बनने में निमित्त बन सकते हैं पर वे घड़ा नहीं बन सकते । उपादान ही नहीं है तो कोरा परिवेश या परिस्थिति क्या कर पाएगी ? हम इनको स्वीकार करते हुए भी उपादान की बात पर आएं। मूल बात है उपादान । क्रिया : प्रतिक्रिया दो महत्त्वपूर्ण शब्द हैं- कृत और प्रतिकृत, क्रिया और प्रतिक्रिया । व्यक्ति क्रिया की प्रतिक्रिया करता है । जब तक वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003157
Book TitleNavtattva Adhunik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, B000, & B010
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy