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नवतस्व : आधुनिक संदर्भ
को धन याद रह जाता है, मान याद रह जाता है, अपमान और गाली याद रह जाती है किन्तु मैं चैतन्यमय हूं, आनन्दमय हूं, यह याद नहीं रहता । चौथा स्रोत है - कषाय - क्रोध, मान, माया और लोभ । इन सबको उद्दीप्त करती हैचंचलता । जो व्यक्ति आत्मा से परमात्मा बनना चाहता है, ध्यान करना चाहता है, उसे सबसे पहले ध्यान देना होगा चंचलता पर | चंचलता कम होगी, आश्रव कम होगा, चंचलता मिटेगी, आश्रव का द्वार बंद हो जाएगा, दुःख का स्रोत बन्द हो जाएगा ।
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