________________
जम्बूद्वीपप्रतिसूले 'तरमल्लिहायणाणं' तरोमल्लिहायनानाम्, तत्र तरो वेगो मल्लि-र्धारकः हायन:-संवत्सरो येषां ते तथा तेषाम्, वरतुरङ्गमाणा मित्यग्रिमेण सम्बन्ध, 'हरिमेल मउलमल्लिकाऽच्छाणं' हरिमेल मुकुलमल्लिकाक्षाणाम्, तत्र हरिमेलको वनस्पति विशेष स्तस्य मुकुलं-कुड्मलम् तथा मलिकका-विचकिलः तद्वदक्षिणी येषां ते हरिमेलकमुकुल मल्लिकाक्षास्तेषाम् 'चंचुञ्चिय कलिय पुलिय चलचवलचंचलगईण' चंचुरितललितपुलितचलचपलचञ्चलगतीनाम्, तत्र-चंचुरितं-कुटिलगमनम् अथवा चंचुः-शुकचञ्चु स्तद्वत् वक्रतया इत्यर्थः' अश्चितम् उच्चताकरणं पादस्योच्चितं वा उत्पाटनं पादस्यैव चंचूच्चितं च तत् ललितं च विळासवद्गतिः पुलितं च-गतिविशेषः एवं रूपा, तथा चलतीति चलो वायुः कम्पनत्वात् तद्वत् चपलचञ्चला अतिशयेन चपला गतिर्येषां ते तथा तेषाम्, तथालचनं-गर्तादेरतिक्रमणम् 'तरमल्लिहायणाणं' ये तर-वेग या बल धारक वर्षवाले होते हैं-अर्थात्-यौवनशाली होते है, 'हरिमेलमउल मल्लिकाच्छाणं' हरिमेल-वनस्पति विशेष के मुकुल-कुड्मल एवं मल्लिका के जैसी इनकी आंखें हैं, 'चंचुचियललिय पुलिय चल चल चंचल गईणं' इनकी गति क्रिया चंचुरित है, वायु के जैसा अत्यन्त चपलता भरी है, या कुटिलित है, शुक की चोंच के जैसी वक्रता लिये हुए है एवं ललित-विलास युक्त है, पुलकित-अतएच आनन्दोत्पादक है, अथवा-'चंचु. रिचय' की संस्कृत छाया 'चचितम्' ऐसी भी हो सकती है इस पक्ष में इनकी गति तोते की चोंच जैसी वक्र इसलिये थी कि उसमें पैरों को ऊंचा किया जाता है और फिर रक्खा जाता है अतः इस स्थिति में पैरों का टेडा होना स्वाभाधिक है इसलिये उस गति क्रिया को भी यहां वक्रतायुक्त कह दिया गया है, 'चल' शब्द का अर्थ यहां वायु है सो वायु की गति अतिशय चपलता भरी होती है इसी प्रकार की इनकी भी गति अतिशय चपलता युक्त है 'लंघणवग्गण धावण विक्षय त विशिष्ट खाय छ, 'तरमल्लिहायणाणं' तेस। त२-३॥ गया मा२४
पाणा हाय छ-मर्थात्-यौवनानी डाय छ, 'हरिमेल मउल मल्लिकच्छाणं' रिमलવનસ્પતિ વિશેષના મુકુલ ખીલેલ કુમલ કળિયે તેમજ મહિલાના જેવી એમની આંખે છે. 'चंचुचिय ललियपुलियचलचक्लचंचलगईणं' मेमनी गतिठिया युरित छ, वायु रेवी अत्यन्त ચપળતા ભરેલી છે અથવા કુટવિત છે, પિોપટની ચાંચના જેવી વક્રતાવાળી છે અને aलित-विलासयुत छ, पुति-माथी मानन्द नारी छे मया-'चंचुच्चिय' नी सलत छाया 'चंचितम वी पास ह श . या पक्षमा भनी गति પિપટની ચાંચ જેવી વાંકી એટલા માટે હતી કે તેમના પગને ઊંચા કરવામાં આવે છે અને પછી નીચે રાખવામાં આવે છે આથી આવી સ્થિતિમાં પગોનું વાંક હોવું સવાભાવિક છે અને આથી જ તે ગતિક્રિયાને પણ અહીં વક્રેતાયુક્ત કરી દેવામાં આવી છે. “જa શબ્દને અર્થ અને વાયુ છે અને વાયુની ગતિ અતિશય ચપળતાયુક્ત હોય के मरीत समनी ५९ गत मतिशय २५णतासरेकी छे. 'लंघणवग्गणधावण धोरण.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org