________________
५१३
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे
भगवानाह - 'गोमा !' गौरम ! 'णव' नव 'कूडा' कूटानि 'पण्णत्ता' प्रज्ञप्तानि 'तं जहा ' तद्यथा 'सिद्धाययणकूडे ' सिद्धायतनकूटम् एतच्च पूर्वस्यां दिशि समुद्र समीपवर्ति इत्यादीनि नवकूटानि सङ्ग्रहीतुं गाथामुपन्यस्यति 'सिद्धे १' इत्यादि सिद्धम्, अत्र नामैकदेशग्रहणान महणमिति सिद्धपदेन सिद्धायतनकूटं ग्राह्यम्, एवमग्रेऽपि ततः परं 'णीले २' नीलं नीलवत् कूटम् - नीलवतः नीलवन्नामक वक्षस्कारभूधरस्य नीलवन्नामक देवस्य कूटमित्यर्थः २ 'पुब्वविदेहे ३' पूर्वविदे - पूर्वविदेहवर्षावधिकूटम् ३ 'सीया ४' शीता- शीतादेवीकूटम् ४ 'य' च-चकारः सपुच्चयार्थकः 'कित्ति ५' कीर्तिः केसरिहूदाधिष्ठात्री देवी तस्याः कूटं निवासभूतम् ५ 'णारी ६' नारी - नारीकान्ता नदीदेवी कूटम् ६ 'य' च चकारः प्राग्वत् 'अवरविदेहे ७' अपर विदेहम् अपरविदेहवधिकूटम् ७ 'रम्मगकूडे ८' रम्यककूटं - रम्यक क्षेत्राधिपकूटसूट, 'उवदंसणे ९ उपदर्शनम् एतन्नामकं कूटं चैव चशब्दः प्राग्वत् एव निर्धारणे ९ || १ || 'सव्वे एए कूडा' सर्वाणि निःशेषाणि एतानि नोलवद्भिरिवर्तीनि नवापि कूटानि हिमवत्कूटानीव पंवसइया' पञ्चशतिकानि पञ्चशतयोजन प्रमाणानि वाच्यानि एतद्वक्तव्य'गोयमा ! णव कूडा पण्णत्ता' हे गौतम! नीलवान् वर्षधर पर्वत के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं । 'तं जहा' उनके नाम इस प्रकार से हैं- 'सिद्धायपणकूडे ' १ सिद्धायतनकूर यह कूट पूर्व दिशा में समुद्र के पास में है, अवशिष्ट कूटों की यह संग्रह गाथा है - 'सिद्धेणिले, पुत्रविदेहे, सीआ य कित्ति णारी अ. अवरविदेहे रम्मगकूडे, उवदंसणेचेच' नीलवत्कूट २ यह कूट नीलवान् नामक वक्षस्कार पर्वत का जो नीलवान् देव है उसका है । पूर्वविदेह ३ - यह कूट पूर्वविदेह क्षेत्र के अधिपति का है । सीताकूट ४ - यह कूट सीतादेवी का है । कीर्तिकूट ५ यह कूट केशरि हूद की अधिष्ठात्री देवी का है, नारीकूट६ यह कूट नारी कान्तानदी देवी का है । अपरविदेह कूट ७ यह कूट अपरविदेह क्षेत्र के अधिपति का है । रम्यककूट८ यह कूट रम्यक क्षेत्र के अधिपति का है । और उपदर्शन कूट ९- 'सव्वे एए कूडा पंच सइआ रायहाणीउ उत्तरेणं' ये सब कूट हिमवत्कूटों की तरह पांचसौ योजन के हैं अतः कूडा पण्णत्ता' हे गौतम! नीतवान् ! वर्षधर पर्वत पर नव छूटी आवे छे. 'तं जहा '
ईटोना नाभो या प्रमाणे छे - 'सिद्धाययणकूडे ' १ सिद्धायतन छूट. आा छूट पूर्व दिशामां समुद्रनी पासे छे. शेष छूटोनी या संग्रह गाथा - 'सिद्धेणिले, पुब्वविदेहे, सीआय कित्ति णारी अ० अवरविदेहे रम्गकूडे उत्रदंसणे चेव' नीसवट २, आ छूट नीतवान् नाम વક્ષકાર પર્વતનો જે નીલવોન્ દેવ છે, તેનો આ ફૂટ છે. પૂર્વાં વિદેહ ૩-આ ફૂટ પૂ विढेडु क्षेत्रना अधियतिनो छे. सीता - ४, आई सीतादेवीनो छे. डीर्तिईट-4, म ફૂટ કેશર હદની અધિષ્ઠાત્રી દેવીનો છે. નારો ફૂટ-૬-આ કૂટ નારીકાન્તા નદી દેવીનો છે. અપવિદેહ કૂટ આ ફૂટ અપર વિદેહ ક્ષેત્રના અધિપતિનો છે २भ्य४८, ८-मा टूट २४ क्षेत्रमा अधियतिनो छे भने उपदर्शन 'सव्वे एए कूडा पंचसइआ
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org