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________________ २८९-३०० ३००-३०९ ३.९-३४० ३४०-३४७ ३४७-३७८ ३७८-३८८ ३८८-३९८ ३९८-४०० ४०१-४०४ ४०४-४११ उत्तर कुरु नामादि का निरूपण हरिस्सह कूट का निरूपण विभाग के क्रमसे कच्छादिविजय का निरूपण चित्रकूट वक्षस्कार का निरूपण दूसरा सुकच्छविजय का निरूपण दूसरा विदेह विभाग का निरूपण सौमनस गजदन्त पर्वत का निरूपण चित्रविचित्रादिकूटों का निरूपण कूटशाल्मलीपीठ का निरूपण चौथा विद्युत्प्रभ नामके वक्षस्कार का निरूपण महाविदेह वर्ष के दक्षिण पश्चिम में तीसरे विभाग के अन्तर्वति विजयादि का निरूपण मेरुपर्वत का वर्णन नन्दनवन का वर्णन सीमनसबन का वर्णन पण्ड कवन का वर्णन पण्डवन में स्थित अभिषेक शिलाका वर्णन मन्दरपर्वत के कांड (विभाग) संख्या का कथन समय प्रसिद्ध मंदरपर्व के सोलह नामका कथन नीलवन्नाम के वर्षधर पर्वत का निरूपण रम्यक नामके वर्ष-क्षेत्र का निरूपण पांचवां वक्षस्कार जिन जन्माभिषेक का वर्णन ऊर्ध्वलोक निवासिनी महत्तरिका दिशाकुमारीका अवसर प्राप्त कर्तव्य का निरूपण ४१३-४२३ ४२३-४५० ४५.-४६६ ४६६-४७० ४७१-४९३ ४७१-४९३ ४९३-४९९ ४९९-५०६ ५०७-५१७ ५१७-५४२ ५४२-५६८ ५६८-५७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003155
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages798
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size24 MB
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