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प्रकाशिका टोका तृ.३ वक्षस्कारः सु० २६ भरतराशः दिग्यात्रावर्णनम् राया णट्टमालगस्स देवस्स अट्ठाहियाए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावेइ सदावित्ता जाव सिंधुगमो णेयवो जाव गंगाए महाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेइ ओअवित्ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ पडिच्छित्ता जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दोच्चंपि सखंधावाखले गंगामहाणई विमलजलतुंगवीइं णावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तरइ उत्तरित्ता जेणेव भरहस्स रण्णो विजयखंधोवारनिवेसे जेणेव बाहिरिया उबट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहिता अग्गाइं वराई स्यणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं जाव अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावित्ता, अग्गाइं वराइं रयणाई उवणेइ । तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अग्गाइं वराई रय गाई पडिच्छई पडिच्छित्ता सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारित्ता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से सुसेणे सेणीवई भरहस्स रण्णो सेसंपि तहेव जाव विहरइ, तए णं से भरहे राया अण्णया कयाइ सुसेणं सेणोवइरयणं सदावेई सदावित्ता एवं वयासी गच्छण्णं भो देवाणुप्पिया! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहोडेइ विहाडित्ता जहा तिमिसगुहाए तहा भाणियव् जाव पियं मे भवउ, सेसं तहेव जाव भरहो उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ, ससिव मेहंधयारनिवहं तहेव पविसंतो मंडलाइं आलिहइ, तीसेणं खड्गप्पवायगुहाए बहुमज्झदेसभाए जाव उम्मग्गणिमग्गजलोओ णामं दुवे महाणईओ तहेव नवरं पच्चत्थिमिल्लाओ कडगाओ पबूढाओ समाणोओ पुरथिमेणं गंगं महाणई समप्पेंति सेसं तहेवे णवरि पच्चथिमिल्लेण कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्वया तहेव त्ति, तएणं खडगप्पवायगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया महया कोंचावं करेमाणा करेमाणा सरसर स्सगाई ठाणाई पच्चोसक्कि
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