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________________ पृष्ठम् १४७ ७४ १३१ १५९ १३८ का ३४ १२५ गा०सं० पृष्ठम् । गा० सं० जलवरिणसवा याई १२२ ३२ | जिणवरसासणमतुलं ५९९ जस्स गुरू सुरहिसुओ २५१ जीवकम्माण उहयं ३२४ जस्स ण गया ण चवर्क २७६ जीवपएसप्पच्चयं ६२२ जस्स ण गोरी गंगा २७६ जीवपएसेक्क्के ३२५ जस्स ण णहगामित्तं ६११ जीवस्स होंति भावा २ जस्स ण तवो ण ५३१ ११४ जीवाण पुग्गलाणं ३०६ जह अणियट्टि पउत्तं ६५२ जीवो अणाइणिच्चो २८६ जह कणयमज्जकोद्दव १५ जीवो सया अकत्ता १७९ जह कोसुंभयवत्थं ६५४ १३८ जे कयकम्मप उत्ता २७ जह गिरिणई तलाए ३९२ जे तियरमणासत्ता २३ जह गुड़धादइजोए १७३ जे पुण भूसियगंथा १३५ जह चिरकालोलग्गइ ६४७ | जे पुणु मिच्छादिट्ठी ५९४ जह जह वड्डइ लच्छी ५६८ १२१ जे संसारी जीवा ४ जहजायलिंगधारी १९२ ४७ जेसिं आउसमाणं ६७७ । जह णावा णिच्छिदा ५०९ ११० जेहिं ण दिण्णं दाणं ५६९ जह णीरं उच्छुगयं ५०३ १०८ | जो इंदियाई दंडइ १७६ जह तं अउवणामं ६४५ १३७ जो उवसमइ कसाए ६५५ जाणइ पिच्छइ सयलं ६९५ १४६ जोएहिं तीहिं वियरइ ६४६ जाणतो पिच्छंतो ६७४ १४२ जो कत्ता सो भुना २९६ जह पाहाणतरंडे १८७ जो कुणइ जयभसेसं २१५ जह भंडियारि पुरिसो ३३८ . ७७ जो कुणइ पुण्णपावं ३८ जह रयणाणं वरं ५२६ ११३ जो खवयसेढिरूढो ६६० जह सुद्धफलियभायणि ६६२ १४० जो जत्थ कम्ममुक्को ६९० जाम ण छंडइ गेहं ३९३ ८८ जो जेमइ सो सोवइ ११४ जारिसओ देहत्थो ६२३ १३१ जो डहइ एयगाम २४३ ।। जाव पमाए वइ ६०५ १२७ जो ण जाणइ जो ण २३२ जा संकप्पवियप्पो ३२२ ७४ | जो ण तरइ णियपावं २५२ जा संकप्पो चिते ६१२ १२९ 'जो ण हि मण्णइ एवं २७० १४३ १२१ १३८ १३६ ५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003153
Book TitleBhav Sangrahadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Soni
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size10 MB
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