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आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख ४२७ [ इस लेख में उभयसिद्धान्तरत्नाकर प्रभाचन्द्र सिद्धान्तदेव के उल्लेख के पश्चात् कहा गया है कि कोङ्गाल्वनरेश अदटरादित्य ने जो 'श्रदटरादित्य चैत्यालय' निर्माण कराया था उसकी पूजन के हेतु राजा ने सिद्धान्तदेव को 'तरिगलनि' की ४२ खण्डुग भूमि दान कर दी ।
चोलकुल के सूर्यवंशी महामण्डलेश्वर राजेन्द्र पृथुवीकोङ्गाल्व ने मूलसंघ, कानूरगण, तगरिगल गच्छ के गण्डविमुक्तदेव के लिए एक बस्ती निर्माण कराई और देवपूजन के लिए उक्त भूमि का दान दिया।
यह लेख चार भाषाओं के ज्ञाता सान्धिविग्रहिक नकुलार्य का रचा हुअा है।]
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