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४०२ आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख और त्रैविद्य श्रीपालयेागीश्वर हुए। कई जगह श्राचार्यों के नाम पढ़े नहीं गये इसलिए परम्परा का पूरा क्रम ज्ञात नहीं हो सका । ]
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बोम्मेनहल्लि ग्राम में जैन बस्ती के
सन्मुख एक पाषाण पर
(शक सं० ११०४) श्रीमत्परम-गम्भीर-स्याद्वादामोघ-लाञ्छनं । जीयात्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिन-शासनं ।। १ ।। श्रीपति जन्मदिन्देसेव यादववंशदोलाद दक्षिणो
वीपतियप्पना सलनेम्ब नृपं सलेयिन्द कोपनद्विपियनन्दिनोवं मुनि पोय सलयेन्दडे पोटदु गेल्दु दि. ग्व्यापि-यशं नेगल्ते वडेदगड पोयसलनेम्ब नामदि
॥२॥ स्वस्ति श्रीजन्मगेहं निभृतनिरुपमोदात्ततेजोमहार्व
विस्तारान्तःकृतोर्वीतलमवनतभूभृत्कुलत्राणदक्ष । वस्तुवातोद्भवस्थानकममलयशश्चन्द्रसम्भूतिधाम प्रस्तुत्य नित्यमम्भोनिधिनिभमेसेगुं होय्सलोज़
शवंश ॥ ३ ॥ अदरोल्कौस्तुभदोन्दनयंगुणम देवेभदुद्दाम-स
त्वदगुर्व हिमरस्म्युज्वल कलासम्पत्तिय पारिजा
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