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________________ आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख ३६७ घर सादृश्यक वन्द यदुकुलतिलक वीर विष्णु क्षितीश ॥६॥ अदियमनोडिदोटमने रोडिसि कल्तु नृसिंहवर्मनाडिदनवनोटमगुणिसि चेङ्गिरि चेङ्गिरियल्लि कल्तु कोण्डदटिन कोङ्गरा-नेगर्द काङ्गरनीक्षिसि पाण्ड यनाडिदं यतिलकङ्गविष्णुधरणीपतिगोडदरार्द्धरित्रयोल ॥ ७ ॥ व ॥ अन्तदियमनदटलेदु नृसिंहवर्मसिंहम कदनदोलेच्चट्टि वैरिगल शिरोगिरिगलं दोईण्डवज्रदण्डदिन्दलरे पोटदु कल पाल कुलमं कलकुलं माडि तगुल्दङ्गरन सप्ताङ्गमुमनेलकुलिगोण्डु दक्षिणसमुद्रतीर बर समस्तभूमियुमने कच्छत्रछायेयिं प्रतिपालिसुत्त तलवनपुरदोत्सुख सङ्कथाविनोददि राज्य गेटयुत्तमिरे ।। श्रीवीर विष्णुवर्द्धन देवं षटतक षण्मुख श्रीपालविद्यबतिगी-जै नावसतमनधिकभक्तियि माडिसिदं ॥ ८ ॥ पोसतेने ता माडिसिदी बस दियुमं बाडमिदरसम्बन्धियेनल्केसेवा...... बस दियुम तीर्थदल्लि कोर्ट मुददि ॥ ६ ॥ पाकुलतिलकङ्ग गुरुकुलमाद श्रीमद्रमिणगणद नन्दिसद-रुङ्ग लान्वयदाचार्यावलियेन्तेन्दोडे ।। क्रम ह...महावीर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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