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आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख ३८५
गौड केरेय कट्टिदनलेयेन्दु पात ......... हारिसुवुदिल्त ता तेरुव अय्दु हणविन दो... .....बेहले हडुवण मुत्तेरि सीमे प्रातन म......... पय्यन्त सलुवन्तागि
कोट पतले प्रलि हिदव कविलेय कोन्द ।। [ यह लेख कुछ भूमि का पट्टा है। इसमें महामण्डलाचार्य नेमिचन्द्र पण्डित देव का उल्लेख करके कहा गया है कि मारगौड ने एक तालाब बनाया; इसके लिए नागदेव हेग्गडे और केञ्चगौड ने उसे सदा के लिए उक्त भूमि का पट्टा दे दिया।] बेक्कग्राम में बस्ती के सन्मुख एक पाषाण पर
(शक सं० १०६५)
श्रीमत्परमगम्भीरस्याद्वादामोघवाञ्छनं । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ॥ १ ॥ श्रीकान्तापीनवक्षोरुह गिरिशिखरोज्जम्भमान विशालं
लोकोद्यत्तापलोपप्रवणविल सितं वीरविद्विड महीपानेकव्यामुक्तस जोवनबहुलितोद्यद्गुणस्तोममुक्तानीकं निष्कण्टकं निश्चलमेनलेसगुं होयसलतत्र
वंशं ॥ २॥ अदरोल्मौक्तिकदन्ते पुट्टिदनिलापालौघचूडामणि
त्वदिनुद्यद्गुणशोभेयिं स्वरुचियिं सवृत्तराराजित
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