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________________ ३६८ नगर में के अवशिष्ट लेख वृषभाद्यनन्ततीर्थकरपर्यन्तचतुर्दशजिनप्रतिबिम्बमानदु तजनगर शत्तिर प्रप्पावु श्रावकराल शेवित्त उभयं वर्द्धतां नित्यमङ्गलं ॥ [वेगुल नगर की भण्डार वस्ति में अनन्तव्रत के पूर्ण होने पर उक्त तिथि को तञ्जनगर के शत्तिरम् अप्पाउ श्रावक ने प्रथम चतुर्दश तीर्थंकरों की मूर्तियां अर्पित की।] ४४२ ( ३६३ ) श्री चामुण्डरायन बस्तिय सीमे । ४४३ ( ३६४ ) श्री नगर जिनालयद करे । ४४४ ( ३६५ ) श्री चिक्कदेवराजेन्द्रमहास्वामियवरकल्याणि ४४५ ( ३६६ ) स्वस्ति श्रीमन्महामण्डलेश्वर त्रिभुवनमल तलकाडुगाण्ड भुजबलवीरगङ्ग विष्णुवर्द्धन होयसलदेवर विजयराज्यमुत्तरोत्तराभिवृद्धिप्रवर्द्धमानमाचन्द्राक... ४४६ ( ३६७) जलिकट्टे के दक्षिण में एक चट्टान पर जिन मूर्ति के नीचे श्रीमत्परम-गम्भीर-स्याद्वादामोघलान्छनं । जीयात्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ।। श्रोमूलसवाद देशियगणद पुस्तकगच्छद शुभचन्द्र-सिद्धान्तदेवर गुड्डि दण्डनायक-गङ्गराजनत्तिगे दण्डनायक बोप्पदेवन Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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