SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३४ श्रवणबेलगोल नगर में के शिलालेख विनयादित्य- नृपालक ननुगत-नामानमल कीर्त्ति - समर्थ ॥ ५ ॥ प्रा.विनयादित्यन वधु भावोद्भव-मन्त्र- देवता- सन्निभे सद् भाव-गुण-भवनमखिल-क ला-विलसिते केलेयबर सियेम्बलु पेसरिं ॥ ६ ॥ आदम्पति तनूभव नादं शचिगं सुराधिपतिगं मुन्ने न्तादं जयन्तनन्ते वि षाद- विदूरान्तरङ्गनेरेयङ्ग-नृप ं ।। ७ ।। नातं चालुक्य - भूपालन बलद भुजा दण्डमुद्दण्ड- भूपबात-प्रोतुङ्ग भूभृद् - विदलन - कुलिश वन्दि-सस्यौध-मेघं । श्वेताम्भोजात-देव- द्विरदन- शरद श्रेन्दु - कुन्दावदातख्यात - प्रोद्यद्यशश्री धवलितभुवनं धीरनेकाङ्गवीर ॥ ८ ॥ एरेयनेलेगेनिसि नेगल्दि ^ एरेयङ्ग नृपाल - तिलकनङ्गने चलव ङ्गरेवट्ट, शील-गुणदि रचलदेवियन्तु नान्तरुमालरे || ८ || एने नेगल्दवरिब्वर्ग तनूभवने॑गल्दरल्ते बल्लाल वि-नृपाल कनुदयादि त्यनेम् पेसरिन्दम खिल-वसुधा तलदाल ॥ १० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy