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चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख १३५ गेल्गुमेने नेगल्द मार्गदे गेल्गुमे पिणेदल्लि कीर्तिनारायणनं ॥२६।। वनधिनभोनिधिप्रमितसङख्ये शकावनिपाल
कालम। नेनेयिसे चित्रभानुपरिवर्तिसे चैत्रसितेतराष्टमीदिन-युत-भौमवार दोलनाकुलचित्तदे नोन्तु तल्दिद जननुतनिन्द्रराजनखिलामरराजमहाविभूतियं ।।२७।।
[यह लेख राष्ट्रकूट नरेश कृष्णराज (तृतीय) के पौत्र इन्द्रराज की मृत्यु का स्मारक है। इन्द्रराज गङ्गगाङ्गेय का दौहित और राजचूड़ामणि का दामाद था। 'रदकन्दर्पदेव' 'राजमार्तण्ड' 'कलिगलोल्गण्ड' 'बीरर बीर' आदि इन्द्रराज की प्रताप सूचक उपाधियां थीं। १४ वे से लगाकर २६ वें पद्य तक इन्द्रराज के एक गेंद के खेल में नैपुण्य का विवरण है। पर अनेक शब्दों का अर्थ अज्ञात होने के कारण इन पद्यों का पूरा-पूरा भाव स्पष्ट नहीं हो सका है। सम्भवतः यह 'पोला' के सदृश कोई खेल रहा है। क्योंकि उक्त पद्यों में गेंद, घोड़ों और खेल के दण्डों का उल्लेख है। इन्द्रराज की मृत्यु शक सं० १०४ चैत्र सुदिक भौमवार को हुई।]
५८ (१३४) तेरिन बस्ति के पश्चिम की ओर एक स्तम्भ पर
( लगभग शक सं०६०४) (उत्तर मुख)
........वार वेल्पडिगु......दन्ददे पोगलिसेम्बेने...
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