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संपादकीय
जीवन का यक्ष-प्रश्न कैसे रहे स्वस्थ तन स्वस्थ चिन्तन स्वस्थ मन सुलझे रोग की जटिल पहेली बने स्वास्थ्य शाश्वत सहेली देता है एक संबोध महर्षि चरक का उद्बोधस्वस्थ वह है, जो हितभुक्-हितभोजी है, मितभुक्-मितभोजी है ऋतभुक्-ऋत भोजी है स्वास्थ्य की यह भाषा शरीर-केन्द्रित परिभाषा । महावीर का स्वास्थ्य-दर्शन देता है नव्य चिन्तन स्वास्थ्य की आत्म-केन्द्रित परिभाषा जगाती है एक नई जिज्ञासा वह है स्वस्थ
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