SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के अभ्यास से व्यक्ति का खोया हुआ साहस जाग उठता है । इसलिए अणुव्रत का प्रशिक्षण पाने के बाद ध्यान शिविर में बैठना आवश्यक है। ध्यान से संकल्पशक्ति पुष्ट होती है, स्वभाव में परिवर्तन आता है और प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने का साहस बढ़ता है । करेक्टर - चरित्र का सीधा सम्बन्ध शिक्षा के साथ है। शिक्षा का प्रभाव व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व - सबके चरित्र पर होता है। भारत एक बहुत बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है । राष्ट्र को स्वतंत्र हुए आधी शताब्दी पूरी होने वाली है। इतनी लम्बी अवधि में भी राष्ट्र की शिक्षा नीति सर्वांगीण नहीं बन पाई है । चरित्रहीनता की त्रासदी इस अपर्याप्त शिक्षानीति की देन है। यदि शिक्षा में चरित्र को सर्वोपरि स्थान उपलब्ध होता तो भारतवर्ष विश्व का आध्यात्मिक गुरु होने का गौरव सुरक्षित रख पाता । शिक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम है जीवन विज्ञान, जो चरित्र-निर्माण की नई संभावनाओं का प्रतीक है। सेल्फकान्फिडेंस, करेज और करेक्टर पाने के लिए सब लोगों को अध्यात्म-साधना-केन्द्र में आना ही होगा, ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं है। जहा कहीं अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवन-विज्ञान का प्रशिक्षण मिलेगा, वहीं अध्यात्म साधना केन्द्र निर्मित हो जायेगा। सूरज को उदित होने के लिए पूर्व दिशा खोजने की अपेक्षा नहीं रहती । वह जिस दिशा में उदित होता है, वही दिशा प्राची बन जाती है - 'उदयति दिशि यस्यां भानुमान् सैव पूर्वा' । ६४ : दीये से दीया जले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy