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में पनप रही हिंसा को निरस्त करने का कोई सरल उपाय है क्या ? ___समाधान-जिस भूमि में महापुरुष या वीतराग पुरुष उत्पन्न हुए, वह भूमि वीतरागभूमि बन जाए, यह जरूरी नहीं है। जहां महावीर ने अहिंसा का उपदेश दिया, वहां कभी हिंसा के बादल मंडराएं ही नहीं, यह अति कल्पना है। समस्याएं हर युग में होती हैं। किसी भी समस्या का समाधान उस क्षेत्र के अतीत में झांकने मात्र से नहीं हो सकता। आज युगीन सन्दर्भो में सही पुरुषार्थ की अपेक्षा है।
बिहार भगवान् महावीर की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहा है। वहां व्यापक दृष्टि से काम किया जाए तो परिस्थितियों में बदलाव संभव है। अणुव्रत
और प्रेक्षाध्यान के माध्यम से कुछ क्षेत्रों में रचनात्मक काम शुरू हुआ है। वहां हिंसा की समस्या लोक जीवन से भी अधिक राजनीति से प्रेरित है। व्यवस्थित और सही दिशा-दर्शन की अपेक्षा को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। हिंसा में उलझने वाले लोगों का चिन्तन सकारात्मक हो जाए तो वहां पुनः महावीर की अहिंसा को प्रतिष्ठापित किया जा सकता है। इसका सबसे सरल उपाय है पूर्वाग्रह मुक्त होकर पारस्परिक संवाद की स्थापना।
जिज्ञासा-क्या जैन विश्वभारती के माध्यम से जैन धर्म की वैज्ञानिकता को जगजाहिर करने की कोई योजना बनी है?
समाधान-जैन विश्वभारती की गतिविधियों से यह आशा बंधी है कि जैन धर्म को जगजाहिर करने में इस संस्थान की अच्छी भूमिका रह सकती है। जैन विश्वभारती में इस दृष्टि से मुख्यतः दो काम हो रहे हैं। पहला काम है-जैन विश्वभारती, मान्य विश्वविद्यालय में जैनोलॉजी का अध्ययन और रिसर्च ! दूसरा काम है अहिंसा प्रशिक्षण की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन। सेमिनार में जिन लोगों की संभागिता थी, उनमें अनेक व्यक्ति वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पन्न थे। उन लोगों का चिन्तन रहा कि अहिंसा के सिद्धांत को व्यावहारिक बनाने के लिए कोई ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाए, जो जन-जीवन को नया मोड़ दे। इसके लिए कुछ क्षेत्रों को सघन क्षेत्र बनाकर काम करने की अपेक्षा है।
जिज्ञासा-तत्कालीन परिस्थिति में नारी को समानता का अधिकार देकर
जिज्ञासा : समाधान : १६५
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