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व्यवसाय क्या आर्थिक पागलपन का प्रतीक नहीं है?
किसी घटना-दुर्घटना में दस-बीस व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है, उस ओर अविलम्ब ध्यान चला जाता है। घटना की जांच के लिए विशेष आदेश दिए जाते हैं। लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में उस प्रसंग को उठाया जाता है। समाचारपत्रों में भी वह संवाद सुर्खियों में छापा जाता है। पर जिस घटना में करोड़ों लोगों का जीवन मौत के साये में आ रहा है, उसके बारे में किसी को कोई चिन्ता नहीं है। यह आश्चर्य नहीं तो क्या है?
विकसित देशों में तम्बाकू की खपत घट रही है और विकासशील देशों में बढ़ रही है। भारत के लिए यह कहा जाता है कि वह ‘फोरेन रिटर्न' विचार
और वस्तु को महत्त्व देता है। क्या तम्बाकू के बारे में भारतीय लोगों की सोच भिन्न प्रकार की है। विश्व में शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित देशों में तम्बाकू के प्रति नजरिया बदल रहा है तो भारत पर उसका प्रभाव क्यों नहीं हुआ?
धूम्रपान की प्रवृत्ति महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक देखी जाती है। विकासशील देशों में तो यह अनुपात और भी कम है। इस अन्तर को पाटने के लिए एक नया षड्यंत्र हो रहा है। महिलाओं में सिगरेट पीने की प्रवृत्ति बढ़े, इस उद्देश्य से विशेष प्रकार की सिगरेटों का निर्माण किया जा रहा है। भोली-भाली महिलाएं इस षड्यंत्र में फंसें, यह भी चिन्ता का विषय है। किन्तु षड्यंत्रकारी इतने दक्ष है कि संपन्न और शिक्षित महिलाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। महिलाओं में यदि थोड़ी भी समझ या सजगता होगी तो वे इस षड्यंत्र से बच सकेंगी, ऐसा विश्वास है। अन्यथा उनके कारण पूरा परिवार विनाश के कगार पर पहुंच जाएगा।
मौत के साये में : १३६
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