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________________ साथ मनुष्य का शाश्वत सरोकार है। यह सरोकार टूटता है, तब मनुष्य मनुष्यता से विमुख हो जाता है। आज की सबसे बड़ी समस्या यही है । इस युग की युवापीढ़ी अपनी कुंठित महत्त्वाकांक्षा को नया रास्ता देने के लिए अपराध जगत् में प्रवेश कर रही है। प्रवेश करने से पहले वह स्वयं ही नहीं जानती कि उसकी गति किस ओर है? वह अपने बड़े-बुजुर्गों के सामने ऐसी चर्चा भी नहीं करती, जो उसे सही मार्गदर्शन दे सकें। इस गुमराह हो रही पीढ़ी को संभालने की जिम्मेवारी उन सब पर है, जो इसके उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा रखते हैं। ____ संसार में समस्याएं बढ़ रही हैं, यह एक यथार्थ है। इससे आंख मिचौनी करने मात्र से समस्याओं का दबदबा कम नहीं होगा। जो है, उसे स्वीकार करते हुए समाधान खोजना है। समाधान की खोज शुरू करते ही वह उपलब्ध हो जाए, यह अतिकल्पना है। खोज में संलग्न होने के बाद भी समस्याओं से जूझने की तैयारी रखनी ही होगी। दही से भरे हुए मटके में गिरा मेंढक लम्बे समय तक हाथ-पांव चलाता है। इससे दही का मंथन होकर मक्खन निकल आता है। दही में उसके डूबने की पूरी संभावना रहती है। किन्तु मक्खन पर वह निश्चिन्त होकर बैठ जाता है। उसके अस्तित्व को समाप्त करने वाली समस्या का समाधान वह अपने पुरुषार्थ से खोजता है। __ मनुष्य का मस्तिष्क मेंढक से बहुत अधिक विकसित है। वह समस्याओं को देखकर हताश हो जाए, उन्हीं का रोना रोता रहे तो समस्याओं की पकड़ और अधिक गहरी हो सकती है। मनुष्य का दायित्व है कि वह उनके मूल को खोजे, उन्हें समाहित करने के लिए निरन्तर श्रम करे और प्रत्येक स्थिति में संतुलन हो सुरक्षित रखे। इसी प्रक्रिया से वह अपने आसपास आशा के दीये प्रज्वलित रख सकता है। दही का मटका और मेंढक : १२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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