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________________ मैत्री का संबंध शब्दों तक सीमित नहीं है। मैत्री की गरिमा व्यवहार की परिधि में कैद नहीं है। मैत्री का पौधा चित्त की धरती पर अंखुआता है, तब ही आत्मौपम्य भाव का विकास हो पाता है। मैत्री का विकास करने के लिए सात सूत्रों पर ध्यान देना आवश्यक है-विश्वास, स्वार्थत्याग, अनासक्ति, सहिष्णुता, क्षमा, अभय और समन्वय । विश्वास से विश्वास बढ़ता है। संदेह की कंटीली झाड़ी में उलझा हुआ विश्वास का वस्त्र फट जाता है। फटे हुए वस्त्र की सिलाई कितने ही कौशल के साथ की जाए, वह एकरूप नहीं हो सकता। विश्वास की आंख में पड़ी हुई संदेह की फांस दिन-रात सालती रहती है, व्यक्ति को निश्चिन्त होकर जीने नहीं देती। ___मैत्री की बुनियाद में पहली ईंट है विश्वास और दूसरी ईंट है स्वार्थत्याग। स्वार्थी व्यक्ति किसी का सच्चा मित्र नहीं बन सकता। स्वार्थ का त्याग वही कर सकता है, जो अनासक्त होता है। वस्तु, पद, प्रतिष्ठा आदि की आसक्ति आंखों को चुंधिया देती है। अनासक्ति के साथ सहिष्णुता का विकास आवश्यक है।असहिष्णु व्यक्ति अपने माता-पिता को भी सहन नहीं कर पाता। उसके लिए मित्र को सहना तो और भी कठिन है। मैत्री का पांचवां सूत्र है क्षमा। सहिष्णुता का संबंध अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के साथ है जबकि क्षमा का अर्थ है किसी व्यक्ति के अपराध एवं दुर्व्यवहार को पूर्ण रूप से विस्मृत कर देना। अभय और समन्वय मैत्री रूप स्रोतस्विनी के दो तट हैं। इनकी मर्यादा में ही मैत्री की धारा प्रवहमान रह सकती है। पारस्परिक भय अकारण दूरी पैदा करता है। जहां एक-दूसरे के विचारों और व्यवहारों में समन्वय नहीं होता, वहां विग्रह बढ़ जाता है। समन्वय शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व का अमोघ मन्त्र है। राष्ट्र में जहां-जहां विग्रह, भय, संदेह या स्वार्थी मनोभावों की प्रबलता है, वहां न शांति हो सकती है, न स्थिरता आ सकती है और न विकास के नए आयाम खुल सकते हैं। विरोधी व्यक्तियों या विचारों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार का सूत्रपात कहीं से भी हो, उसकी निष्पत्ति निश्चित रूप से राष्ट्र हित में होगी। मैत्री के साधक तत्त्व : ११६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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