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________________ बात-बात में बोध प्राणी अपने समान जातीय प्राणी को उत्पन्न करते हैं। अपनी सन्तति को बढ़ाते हैं। कम्प्यूटर या अन्य मशीनें कभी अपने समान प्रजाति को उत्पन्न नहीं करती। आत्मा का आठवां लक्षण है-आहार, भय आदि दस संज्ञाओं की अवस्थिति। आहार आदि संज्ञायें आत्मवान प्राणी में ही मिलती हैं, किसी अजीव वस्तु में नहीं। रोबोट कभी भोजन नहीं करता है । इसी तरह अन्य संज्ञाओं की बात समझनी चाहिए । राजेश-गाड़ी में पेट्रोल व डीजल डालना पड़ता है, क्या यह उसका भोजन नहीं है ? रमेश-उचित है तुम्हारी जिज्ञासा। पेट्रोल व डीजल डालने से गाड़ी चलती है, इसी तरह बहुत सारी मशीनें भी जिनमें समय-समय पर तेल डालना पड़ता है, पंखों में कार्बन डाला जाता है, और उदाहरण भी हो सकते हैं पर इससे यह नहीं कहा जा सकता कि वे भोजन करते हैं। न उनमें आहार की प्रक्रिया देखी जाती है और न उनको भूख की अनुभूति भी होती है। आत्मवान प्राणी क्षुधापूर्ति के लिए स्वयं प्रयत्न करता है। शरीर में कहीं व्रण या कोई प्रकार की रुग्णता हो तो प्राणी उसके निवारण हेतु पुरुषार्थ भी करता है जबकि गाड़ी या कोई मशीन अपनी क्षति पूर्ति के लिए किसी प्रकार का प्रयत्न नहीं करती। आत्मा का नौवां लक्षण है-जिज्ञासा व आकांक्षा का होना। हर तत्त्व को जानने की भावना व कुछ नया पाने की इच्छा आत्मा में ही पायी जाती है, जड़ में नहीं। ऊपर बताये गये सभी आत्मा के व्यावहारिक लक्षण है। निश्चय में आत्मा का लक्षण है उसकी चेतना शक्ति । अस्तित्व की दृष्टि से प्राणी मात्र में चेतना की अनन्त शक्ति है पर अभिव्यक्ति की असमानता के कारण किसी की चेतना कम विकसित होती है, किसी की ज्यादा। सुरेश-हर प्राणी में आत्मा है फिर सभी प्राणियों में चेतना की समान अभिव्यक्ति क्यों नहीं होती ? रमेश-शान व मोह की प्रबलता व न्यूनता इसमें निमित्तभूत बनती है। फिर भी चेतना के न्यूनतम लक्षण तो हर प्राणी में उपलब्ध होंगे ही। हमारे आचार्यों ने कहा है-केवल ज्ञान का अनन्तवां भाग हर जीव में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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