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आशीर्वचन
तत्त्व का चिन्तन गहन होता है। जैन तत्त्व में और अधिक गहराई है इसलिए उसे समझना सहज सरल नहीं है। मुनि विजय कुमार ने जैन धर्म के तत्वों को बातचीत की शैली में प्रस्तुत कर उन्हें सहजगम्य बनाने का प्रयत्न किया है। प्रस्तुत पुस्तक सामान्य पाठक के लिए भी उपयोगी हो
सकेगी ।
तेरापंथ धर्मसंघ में साहित्य का अनवरत कार्य चल रहा है । आचार्य श्री तुलसी की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में वह निरन्तर गतिशील और विकासशील है । उस विकास की शृंखला में अनेक प्रयत्न हो रहे हैं ।. पाठक की afa अनेक प्रकार की होती है । प्रस्तुत पुस्तक का अध्ययन भी पाठक के लिए रुचिकर होगा ।
२५-२-८६ जैन विश्व भारती, लाडनूं
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युवाचार्य महाप्रज्ञ
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