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________________ सभ्यक्त्व हलुवे की सुगन्ध से हलुवे का निश्चय हो जाता है, वैसे ही बाहरी लक्षणों से व्यक्ति के सम्यक्त्वी होने का निश्चय किया जा सकता है ? कमल-वे लक्षण कौन से हैं जिनसे सम्यक्त्वी की पहचान होती हैं ? मुनि-वे लक्षण पांच हैं :-१. शम २. संवेग ३. निवेद ४. अनुकम्पा ५. आस्तिक्य। १. शम:-क्रोधादि कषायों का उपशमन २. संवेग:--मोक्ष की अभिलाषा ३. निवेदः-संसार से विरक्ति ४. अनुकम्पाः-प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव ५. आस्तिक्यः-आत्मा, परमात्मा, बन्धन, मुक्ति में विश्वास करना । ये पांच लक्षण जिस व्यक्ति में मिलते हैं उसे सम्यक्त्वी कहा जाता है। विमल-जैन धर्म में सम्यक्त्व को इतना महत्त्व क्यों दिया गया ? मुनि-सम्यक्त्व अध्यात्म की नींव है और मुक्ति महल की पहली सीढ़ी है । सम्यक्त्व दशा में व्यक्ति कभी अप्रशस्त गति में गमन नहीं करता । भगवान महावीर ने सम्यम् दर्शन (सम्यक्त्व) पर बल देते हुए कहा है-सस्यग दर्शन के बिना सम्यग ज्ञान व सम्यग् ज्ञान के बिना सम्यग चरित्र और सम्यग चरित्र के बिना मुक्ति सम्भव नहीं है। सम्यक्त्वप्राप्ति का अर्थ है-मुक्ति गमन की अहंता का प्रमाण पत्र पा लेना। श्रीमद जयाचार्य ने एक गीत में लिखा है कि इस जीव ने सम्यक्त्व प्राप्त किये बिना अनन्त बार चारित्र धर्म का पालन किया किन्तु श्रेयस् की प्राप्ति नहीं हुई। सम्यक्त्व प्राप्त होने पर ही जीव की सदगति सम्भव है। जिस तरह पानी शुद्ध होने पर भी गन्दै बर्तन में रखा होने से गन्दा कहलाता है, न ही उसे पीने का भी मन करता है। उसी तरह सम्यक्त्व रहित व्यक्ति का अच्छा ज्ञान भी पात्रता के अभाव में अज्ञान कहलाता है। इस दृष्टि से सम्यक्त्व को महत्त्वपूर्ण माना गया है। कमल-क्या सम्यक्त्व का अधिकारी हर व्यक्ति हो सकता है ? मुनि-इसमें जाति, कुल, रंग व लिंग का कोई भेद नहीं है। हर व्यक्ति सम्यक्त्व का अधिकारी हो सकता है बशर्ते कि उसके क्रोधादि कषाय हल्के हो, सत्य के प्रति समर्पण हो, चित्त सरल व निर्मल हो। विमल-सम्यक्त्व के अधिकारी की व्यावहारिक पहचान क्या हो सकती है। मुनिवर-व्यावहारिक रूप में सम्यक्त्वी वह होता है जो कषाय की ग्रन्धि को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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