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________________ २६ बात-बात में बोध रात-रात भर चलने वाले तेज गीतों पर, जो लोगों की नींद हराम करते हैं, जिनको कोई सुनना भी नहीं चाहता, प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। भगवान महावीर द्वारा निरूपित अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्या को अगर संसार स्वीकार करले और प्रकृति के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ न करे तो प्रदूषण की समस्या आसानी से समाहित हो सकती है। किन्तु भगवान जानते थे इसका सम्पूर्ण पालन आम आदमी के लिए अशक्य है। उन्होंने मध्यम मार्ग का प्ररूपण किया। गृहस्थ व्यक्ति को संकल्पजा और विरोधजा हिंसा से बचने का मार्ग उन्होंने बताया। अनिवार्य हिंसा करते समय भी व्यक्ति जितना बच सके, उतना उसे बचने का प्रयास करना चाहिए। यह भगवान महावीर का अहिंसा दर्शन है। ओमप्रकाश - अहिंसा को जन जीवन में उपयोगिता और जागतिक समस्याओं के निवारण में इसके योगदान के विषय में सुनकर मेरा मन प्रसन्न है अब आप जैन धर्म के कुछ और सिद्धान्तों की भी चर्चा करें जिनका विज्ञान के साथ तालमेल है ? इस युग में लोग उन सिद्धान्तों को पसन्द करते हैं जिनकी विज्ञान के साथ संगति होती है । मुनिवर–असल में धर्म और विज्ञान परस्पर विरोधी नहीं हैं, बल्कि कहना चाहिए वे एक दूसरे के पूरक हैं। सापेक्षवाद सिद्धान्त के प्रणेता महान वैज्ञानिक आलबर्ट आइन्स-टीम का यह कथन बहुत सत्य है कि धर्म के बिना विज्ञान पंगु है और विज्ञान के बिना धर्म अन्धा है। भगवान महावीर परम वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने परमज्ञान के द्वारा जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया, उनमें अनेक सिद्धान्त आज विज्ञान द्वारा सम्मत हैं। जैन दर्शन का महत्वपूर्ण सिद्धान्त है- अनेकान्त। इसका अर्थ है वस्तु अनन्त धर्मात्मक है। वे अनन्त धर्म एक दूसरे से निरपेक्ष नहीं है, सापेक्ष हैं: विविध अपेक्षाओं से सत्य को समझना अनेकान्त का आशय है। इसकी व्याख्या बीसवीं सदी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइन्सटीन ने सापेक्षवाद के रूप में की। किसी ने आइन्सटीन से सापेक्षवाद के बारे में पूछा तो उन्होंने उदाहरण देकर बताया--एक व्यक्ति जब अपनी पत्नी के साथ बैठता है तो उसे एक घंटा भी पाँच मिनट की तरह लगता है और जब उसे चूल्हे के पास बैठा दिया जाये तो पाँच Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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