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नयवाद
महिला बोली-बेटे! दोनों सही है, यह फोटू विवाह के समय की है और अब यह अवस्था तेरे पिता के निरन्तर बीमार रहने से हो
हर व्यक्ति और पदार्थ में स्थूल पर्याय परिवर्तन व सूक्ष्म पर्याय
परिवर्तन का क्रम अनिवार्य रूप से चलता रहता है। किशोर-स्थूल पर्याय व सूक्ष्म पर्याय में क्या भेद है बताने की कृपा करें
श्रीमन् महावीर प्रसाद-स्थूल पर्याय से तात्पर्य है स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला,
परिवर्तन व सूक्ष्म पर्याय से तात्पर्य है जो दिखाई नहीं देती पर प्रतिक्षण घटित होती है । उदाहरणार्थ-एक व्यक्ति में शैशव, बचपन, कैशोर्य, तरुण, जवानी,बुढ़ापा आदि अनेक स्थूल पर्याय पायी जाती है पर सूक्ष्म पर्याय परिवर्तन उसमें हर क्षण होता है । पुस्तक का फट जाना यह उसका स्थूल पर्याय परिवर्तन है पर सूक्ष्म पर्याय परिवर्तन उसमें हर
पल हो रहा था, वह प्रतिक्षण जीर्ण हो रही थी। किशोर-द्रव्य और पर्याय के विषय में जान लेने के बाद अब आप नय के
सात प्रकारों का अर्थ बताने की कृपा करें ! महावीर प्रसाद-अवश्य । पहला है-नेगम नय। इसमें वस्तु के सव-असत्,
भेद-अभेद, सामान्य व विशेष धर्मों पर विचार किया जाता है । इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत है। दीवाली के दिन को कहना, आज भगवान महावीर का जन्म दिन है । इन्धन, पानी, चावल को एकत्रित करते हुए कहना चावल बना रहा हूँ। इस प्रकार के काल्पनिक प्रयोग नेगम नय की भाषा है। दूसरा है-संग्रह नय। इसका क्षेत्र नैगम नय से सीमित है। यह पदार्थ के सद स्वरूप पर ही विचार करता है, असत् पर नहीं। इसका मानना है -संसार एक है क्योंकि सत्त्व सब पदार्थों में समान है। तीसरा है-व्यवहार नय । संग्रह नय समग्रता से विचार करता है। यह नय खण्ड-खण्ड करके वस्तु पर विचार करता है । जैसे-सत्त्व की दृष्टि से पदार्थ एक है किन्तु उसके दो भेद है-द्रव्य और पर्याय । विश्व एक है पर उसके तीन भेद है-ऊर्ध्व लोक, अधोलोक और तिर्यग लोक । मनुष्य जाति एक है किन्तु उसके दो वर्ग है-स्त्री व पुरुष । यह नय भेद प्रधान है। आगे से आगे भेद करता जाता है । चौथा है-ऋजुसूत्र नय। यह वस्तु की वर्तमान पर्याय पर विचार करता है। चारों ओर अनुकूलताओं के बावजूद अगर कोई व्यक्ति
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