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प्रायोजना
युवाचार्य श्री की ३५-४० वर्षों की साहित्य निर्माण यात्रा का यह संक्षिप्त लेखा-जोखा है। प्रस्तुत पुस्तक की समायोजना एक उद्देश्य को ध्यान में रखकर की गई है। युवाचार्य श्री ने शताधिक पुस्तकों का निर्माण कर विविध विषयों पर मौलिक चिन्तन प्रस्तुत किया है। उनकी एक स्थान पर अवस्थिति अनुसंधाताओं तथा अन्य पाठकों के लिए सुविधाजनक हो सकती है। इसमें सभी निबंध अकारादि क्रम से संकलित हैं । युवाचार्य श्री का साहित्य-निर्माणकार्य निरन्तर गतिशील रहा है । उस साहित्य की संयोजना में नए-नए उन्मेष और नए आयाम भी उद्घाटित होते रहे हैं । तात्कालिक उपयोगिता की दृष्टि से उनकी पुस्तकों को नया रूप भी दिया है । अणुव्रत परीक्षाओं की दृष्टि से 'नैतिक पाठमाला' पुस्तक 'अणुव्रत विशारद' के शीर्षक से प्रकाशित की गई । इसी प्रकार लोगों के सुझाव के अनुसार किसी एक बृहत्काय ग्रन्थ को दो भागों में भी प्रकाशित किया गया है । जैसे 'अप्पाणं सरणं गच्छामि' पुस्तक को 'समाधि की खोज' तथा 'समाधि की निष्पत्ति'-- इन दो खंडों में प्रकाशित किया गया। इसके अतिरिक्त पुस्तक के निबंधों को उपयोगिता की दृष्टि से अन्य ग्रंथों से भी संक्रांत किया गया है। उसी प्रकार कर्म सिद्धांत से संबंधित अनेक प्रवचन यत्र-तत्र कुछेक ग्रन्थों में प्रकाशित हुए थे। कर्मवाद का सर्वांगीण अध्ययन एक ही स्थान पर प्राप्त हो जाए इस दृष्टि से उन प्रवचनों को एकत्र कर 'कर्मवाद' नाम से एक पुस्तक प्रकाशित हुई । इसी क्रम में 'शक्ति की साधना' 'आहार और अध्यात्म', 'अभय की खोज', 'चंचलता का चौराहा', 'ऊर्जा की ऊर्ध्वयात्रा' आदि अनेक छोटे संस्करण भी प्रकाशित हुए। काव्य ग्रन्थों में भी ऐसा ही हुआ है। 'विजय की यात्रा' का काव्यांश 'नास्ति का अस्तित्व' नामक पुस्तक में छपा है । उनके शीर्षक भी वे ही हैं। हमने इन सब निवंधों एवं शीर्षकों का संकलन किया है, इसलिए पाठक को एक ही शीर्षक कहीं-कहीं दो-तीन बार दृष्टिगोचर होगा। किन्तु ये भिन्न-भिन्न पुस्तकों के हैं, अतः इन्हें पुनरुक्त न मानकर इन सबका संकलन पाठक की सुविधा की दृष्टि से किया गया है, क्योंकि एक पुस्तक न मिलने पर पाठक दूसरी पुस्तक से लाभ उठा सकता है। कहीं-कहीं शीर्षक एक होने पर भी विषय और प्रतिपादन की भिन्नता है। जैसे कर्मवाद शीर्षक अनेक बार आया है पर उनमें कहीं-कहीं विषय प्रतिपादन की भिन्नता स्पष्ट है।
युवाचार्यश्री ने अनेक जीवनी ग्रन्थ लिखे हैं । उनको प्रवचन नहीं
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