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________________ सूक्ष्म शरीर का सामर्थ्य सूझ-बूझ सूरज की यात्रा रात में सेठ : कवि सोने की गंध सोने की गंध सोने में गंध स्त्री नहीं, पुरुष स्थूलभद्र की विरक्ति स्नेह और आंकाक्षा स्मृति का जहर स्मृति का भय स्व की चिंता स्वतंत्रता का मूल्य स्वधर्म : राजधर्मं स्वयं की परिक्रमा स्वयं देखें, स्वयं सोचें स्वर्ग और नरक स्वर्ग : नरक स्वर्ग पर धरती की विजय स्व शक्ति का विवेक स्वागत कब और किसका ? स्वाद का चमत्कार स्वाधीनता स्वार्थ स्वार्थी का परिणाम स्वार्थ का संसार स्वार्थपरता हजरत ऊमर हम नहीं जानते १२४ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International कथा " " 33 गागर कथा 33 " " 34 गागर कथा 71 17 "1 11 " गागर कथा गागर कथा ا 11 गागर कथा 33 " 13 कथा 17 For Private & Personal Use Only RAJA Ο ४ ५ २ avx x १ ५ α 2x0r २ ५ ५ ६७ το ७२ ६० ५७ ६६ २१ १५१ ४१ १०३ ४२ १२८ १२४ ३७ ४० १४२ २४ २१ १४ ३ ११६ ३२ ३७ ५ ८६ ६१ १४३ १५४ ५२ २१. www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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