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नास्ति विजय अनुभव अनुभव गूंजते अनुभव अनुभव नास्ति
४६
७७
बन्दीगृह के द्वार बन्दीगृह के द्वार बलवान बनो बसन्त फिर आयेगा बहुत तेज प्रकाश बहुत से क्या ? बहु-निष्ठा बादल से घिरा आकाश बादल से घिरा आकाश बाल-क्रीड़ा बिन्दु : बिन्दु बीज और फल बीज का विकास बीज का विकास बोलने का अर्थ ब्रह्मचर्य और अहिंसा ब्रह्मचर्य की फलश्रुति
विजय
भाव
बन्दी
प्र
४८
m
फूल विजय नास्ति
av
फल
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१०३
अनुभव अनुभव
११०
१०२
भगवान् अब मैं हो रहा हूं भला वही भविष्य दर्शन भाग्य-निर्णय भाग्य-रचना भाग्य-विधाता भाग्य-विधाता भूख और भोग भूल और यथार्थ भेद-रेखा भोग और त्याग
भाव अनुभव भाव बन्दी नास्ति विजय
M
S
भाव
W
१०४
अनुभव भाव अनुभव अनुभव
७४
भ्रम
८६ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण
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