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________________ मैं कुछ is अहिंसा तत्त्व w or १७७ १६५ २६३ १२१ सुधरे व्यक्ति समाज व्यक्ति से सुपात्र कुपात्र सूक्ष्म की समस्या सूक्ष्मलोक की यात्रा सूक्ष्म शरीर और पुनर्जन्म सृजनात्मक दृष्टियां : रचनात्मक प्रवृत्तियां सृजनात्मक शक्ति सृजनात्मक स्वतंत्रता सेवा और नैतिकता सोया मन जग जाए स्थावर जीव हिंसा स्थावर जीवों की दशा और वेदना स्थावर जीवों की हिंसा के निमित्त स्थूल और सूक्ष्म की मीमांसा स्थूल और सूक्ष्म जगत् का संपर्क सूत्र स्थूल शरीर का आध्यात्मिक महत्त्व स्थूल से सूक्ष्म की ओर स्नायविक तनाव का विसर्जन स्मृति का वर्गीकरण स्याद्वाद स्याद्वाद एकला सोया धर्मचक्र उत्तरदायी विचार का घट सोया अहिंसा तत्त्व अहिंसा तत्त्व अहिंसा तत्त्व किसने आभामण्डल as in is w Urur m w १२२ or मन १३० १६० is a स्याद्वाद १४८ on in चेतना विश्व जैन प्रमाण जैन तत्त्व जैन मौलिक (१) जैन दर्शन अतीत जैन न्याय प्रज्ञापुरुष अणुव्रत विशारद नैतिक अनेकान्त स्याद्वाद स्याद्वाद स्याद्वाद और जगत् स्याद्वाद और सप्त भंगी न्याय स्वतंत्र चिंतन के प्रयोग स्वतंत्र चेतना की सुरक्षा स्वतंत्र चेतना की सुरक्षा स्वतंत्रता w ६६ १२८ १०७ १४२ गद्य साहित्य | ६७ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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