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________________ २०२ ११५ १३६ १०४ १६० ६६ १४८ १६७ १५७ 0 ३५ mr २६३ समाधि और प्रज्ञा अप्पाणं/समाधि समाधि की खोज : समस्या का जीवन अप्पाणं समाधि समाधि की शक्ति शक्ति समाधि के मूल सूत्र अप्पाणं समाधि समाधि के सोपान अप्पाणं समाधि समाधि : मानसिक समस्या का स्थायी समाधान अप्पाणं समाधि समाधि : साध्य या साधन ? अप्पाणं समाधि समुद्र में नाव उत्तरदायी सम्प्रदाय और धर्म सम्प्रदाय निरपेक्षता अनुप्रेक्षा अमूर्त सम्मति का सम्मान प्रज्ञापुरुष सम्यक् चारित्र जैन-मौलिक (२) सम्यक् चारित्र जैन-आचार सम्यग् ज्ञान जैन-आचार सम्यग् ज्ञान जैन-मौलिक (२) सम्यग् दर्शन जैन-आचार सम्यग् दर्शन जैन मौलिक (२) सम्यग्दृष्टि (१) धर्म सम्यग्दृष्टि (२) सम्यग्दृष्टि (३) सम्यग्दृष्टि (४) सम्यग् दृष्टिकोण है शांति का उपाय सर्वजनहिताय : सर्वजनसुखाय श्रमण सर्वज्ञता : दो पार्श्व दो कोण श्रमण सर्वांगीण दृष्टिकोण सह-अस्तित्व तट सह-अस्तित्व राष्ट्रीय सह-अस्तित्व अनेकान्त सह-अस्तित्व अनुप्रेक्षा अमूर्त सह-अस्तित्व और समन्वय एकला २३५ धर्म धर्म ४७ धर्म महा ११२ २१२ २२६ २१४ ४४ २२२ ७७. ६४ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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