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________________ ४६ जैन चिन्तन प्रज्ञापुरुष विश्व २१६ १४३ ७८ ३ ३ १८० उत्तरवता साहित्य और असंयति-दान उत्तराधिकारी का चयन उत्पत्ति-स्थान उदर-शुद्धि उदात्तीकरण क्रोध का उदार बनिए उदार बनिए उद्धरण की मर्यादा उनकी मां उन्नीसवीं सदी का नया आविष्कार उपदेष्टा महावीर उपनिषदों पर श्रमण-संस्कृति का प्रभाव उपनिषद्, पुराण और महाभारत में श्रमण संस्कृति का स्वर उपवास : कायसिद्धि का उपाय उपवास की शक्ति उपसंपदा उपसंपदा उपसंपदा उपसंपदा : जीवन का समग्र दर्शन उपासना के बीज उपेक्षा भावना उस संघ को प्रणाम सोया जैन शास्त्र दया दान जैन धर्म जैन धर्म उन्नीसवीं महावीर क्या थे अतीत अतीत १३३ ३ mm अर्हम् शक्ति किसने किसने प्रेक्षा आधार सोया १६७ ४७ १०७. तुम ४५ १०६ अमूर्त मेरी १९२ ऊर्जा ४८ ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन ऊर्जा का विकास : तप ऊर्जा का संचय ऊर्जा की ऊर्ध्व यात्रा ऋजुता अनुप्रेक्षा किसने ऊर्जा किसने अमूर्त २१८ तेरापंथ एकता की अनुभूति के क्षण १६ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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