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________________ 1 १५१ ३७६ २१५ S २४८ तुम M० ० २८६ २२ 0 0 अपेक्षा दृष्टि : बौद्धिक अहिंसा का विकास-मार्ग जैन धर्म अप्पाणं सरणं गच्छामि निष्पत्ति अप्पाणं सरणं गच्छामि अप्पाणं अप्रमाद प्रेक्षा आधार अप्रमाद मन अप्रमाद, वीतराग और केवली जैन योग अप्रावृत और प्रतिसंलीनता अतीत अभय समस्या का अभय अनुप्रेक्षा अमूर्त अभय का मन्त्र अभय की मुद्रा अभय अभय की मुद्रा कैसे सोचें अभय की शक्ति तट अभय की शक्ति राष्ट्रीय अभयदान अभय अभयदान कैसे सोचें अमूल्य का मूल्यांकन चेतना अर्जन की पद्धति अणुव्रत अर्थ-दण्ड अहिंसा तत्त्व अर्थ-व्यवस्था के सूत्र और प्रेक्षा समाज अहम् अलौकिक और लौकिक श्रमण अवचेतन मन से सम्पर्क अवचेतन अविनाभाव जैन न्याय अशरण भावना अमूर्त अशौच भावना अमूर्त असंख्य द्वीप-समुद्र और मनुष्य-क्षेत्र जैन चिंतन असंग्रह और श्रम अणुव्रत असंग्रह का वातायन : अभय का उच्छ्वास । श्रमण असंयति-दान के अनिषेध का कारण जैन चिंतन २३५ 0 0 0 0 अर्हम् 0 mm or MP3 or 0 5 / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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