SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आशीर्वचन मनुष्य की जीवन-शैली उसके चिन्तन पर निर्भर है। उसकी शरीर-संरचना, कार्यपद्धति और व्यक्तित्व की निर्मिति का आधार भी उसका चिन्तन है। वह जैसा सोचता है, वैसा बन जाता है। उसकी वृत्तियों, नीतियों और व्यवहारों पर भी उसके चिंतन का प्रभाव रहता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल सिमोंटोन के अनुसार पॉजिटिव थिंकिंग के प्रभाव बहुत आश्चर्यकारक होते हैं। इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि मनुष्य जो कुछ सोचे, पूरे मन से सोचे और समझपूर्वक सोचे । यह पूर्व एवं सुविचारित सोच मनुष्य के व्यक्तित्व का बहुत बड़ा हिस्सा है। विचारों के आधार पर व्यक्तित्त्व परिवर्तन की बात कोई माने, न माने, हम अपना अभिप्राय किसी पर थोपना नहीं चाहते। पर जिन लोगों को यह विश्वास न हो, वे युवाचार्य महाप्रज्ञ की अनुभूत कृति 'अमूर्त चिंतन' पढ़ें और अपनी धारणाओं के जंगल को काटकर अनुभवों की नई पौध उगाएं। आत्महीनता से उपजी कुंठाओं और विकृतियों को तोड़कर संतुलित जीवन जीने के लिए अनुप्रेक्षा और भावना का प्रयोग अमोघ सिद्ध हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक में यही सब कुछ रूपायित है। अपनी सुबोधता और वैज्ञानिकता के आधार पर यह पुस्तक किसी भी वर्ग की प्रबुद्ध पीढ़ी को आगे बढ़ाने में समर्थ है। महाप्रज्ञजी का साहित्य उत्तरोत्तर अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। इस साहित्य के पाठक अपनी ज्ञान चेतना और अनुभव चेतना पर आए आवरण को तोड़कर अपने भीतर एक नए मनुष्य को जन्म देने में सफल हों, यही इस लोकप्रियता की सार्थकता है। अणुव्रत भवन, नई दिल्ली ११ जनवरी, १९८८ आचार्य तुलसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003139
Book TitleAmurtta Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy